पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१७८

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[ ८७ ]. उदाहरण-मालती सवैया मोरँग' जाहु कि जाहु कुमाऊँ सिरीनगरे कि कवित्त बनाए । बांधव" जाहु कि जाहु अमेरि कि जोधपुरै कि चितौ• रहि धाए ।। जाहु कुतुब्ब कि एदिल पै कि दिलीसहु पै किन जाहु बोलाए । भूपन गाय फिरौं महि में बनिहे चित चाह सिवाहि रिझाए ।। २४९ ।। १ ये दोनों ही उदाहरण (६० नं० २४९, २५० ) अशुद्ध है। विकल्प में संदेह ही रहना चाहिए, पर इन दोनों छंदों में अंत में संदेह एटा कर एक बात निश्चयात्मक कार दी गई है। कदाचित् अपने नायक की पूर्ण प्रशंसा हो के लिये भूपणजी ने अपने ठीक उदाहरण संत में जान बूझ कर अशुद्ध कर दिए. हों, पर यह अन्य प्रकार से भी संभव था। २ इस नाम की रियासत कृत्वविहार के पश्चिम और पुनिया के उत्तर में थी। इसे मुगलों ने सन् १६६४ तथा १६७६ में जीता । यह पहादी राज्य था। ३ कमाऊँ ( गढ़वाल ) की रियासत में भूपगजो गए थे। इस विषय में भूमिका देखिए । ४ काश्मीर की राजधानी । ५ वाधव की रियासत । (रीवा) ६ जयपुर में इस नाम का प्रसिद्ध किला है जहाँ शक्ति शिलामयी देवी है। "जय जय शक्ति शिलामयी जय जय गढ़ आमेर । जय जयपुर सुरपुर सरिस जो जाहिर चहुँ फेर" ॥ ७ चित्तौर अर्थात् मेवाद अथवा उदयपुर ।