पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१९०

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[ ९९ ] वैपारी जहाज के न राजा भारी राज के भिखारी हमें कीजै महाराज सिवराज के ।। २८३ ।। लेश लक्षण-दोहा जहँ बरनत गुन दोप, के कहै दोप गुन रूप । भूपन ताको लेस कहि गावत सुकवि अनूप ।। २८४ ।। उदाहरण-दोहा * उदैभानु राठोर बर धरि धीरज गढ़ ऐंड । प्रगट फल ताको लयौ परिगो सुरपुर पैड़ ।। २८५ ।। कोऊ बचत न सामुहें सरजा सों रन साजि । भली करी पिय ! समर ते जिय लै आए भाजि ॥ २८६॥ तद्गुण लक्षण-दोहा जहाँ आपनो रंग तजि गहै और को रंग । • ताको तद्गुन कहत हैं भूपन बुद्धि उतंग ।। २८७ ॥ उदाहरण-मनहरण दंडक पंपा' मानसर आदि अगन तलाव लागे जेहि के परन मैं • • पहले उदाहरण में गुण दोष रूप है और दूसरे में दोप गुण रूप । भूपण ने इसमें केवल रंग का कथन किया है किन्तु किसी भी गुण का हो सकता है। १ जिस ( रायगढ़ ) के पक्षों अर्थात् पक्खों में पंपा, मानसरोवर आदि भगणित तालाप लगे है अर्थात् चित्रित है।