पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२१२

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[ १२१ ] सिव सरजा सलहेरि' ढिग कुद्वद्धरि२ किय युद्ध ।। कुद्धद्धरि किय युद्धद्धव अरि अद्धद्धरि धरि । मुंडडुरि५ तहँ रंडड्डकरत डुंडड्डग भरि ।। खेदिदर पर छेदिदय' करि मेदद्दधि दल | जंगग्गति११ सुनि रंगग्गलि१२ अवरंगग्गत १चल ।। ३५५ ।। पर औरंगजेब ने उसे ( शंभाजो को ) दिल्ली भेज देने को लिखा । इसी बीच में - दिलेर खाँ शिवाजी के सेनापति जनार्दन पंत से युद्ध में हारा और शंभाजो को दिलोः न भेज कर उसने उस (शंमाजी ) से अपना वचन न तोड़ने को जान बूझ कर उसे माग जाने दिया । दिलेर खाँ १६८४ में मरा । सलहेरि के युद्ध में दिलेर खाँ तथा खान बहादुर मिल कर नेता थे। १ छ० ९७ का नोट देखिए । २ क्रोध धर कर। ३ ध्रुव ( निश्चय ) युद्ध किया । ४ आधे आधे करके; काट कर। " मुंड डाल कर। ६ रुंद डकार रहे है। ७ कुंड ( हाथ कटे हुए कवंध) डग भरते (दौड़ते ) हैं । ८ दर ( स्थान; मोरचा) से खेद कर । ९ छेद डाला। १० फौज के मेद ( ची ) को दही ऐसा फेंट डाला। ११ जंग का हाल । १२ रंग गल गया ।.. १३ बल जाता रहा।