पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२१६

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[ १२५ ] धाक, मिले खल कुल खाक, बसे खलन के खेरन खवीसन के खोम' हैं ॥ ३६० ॥ तुरमती तहखाने तीतर गुसुलखाने सूकर सिलहखाने कूकत 'करीस हैं । हिरन हरमखाने स्याही हैं सुतुरखाने पाढ़े पीलखाने औ करंजखाने कीस हैं ॥ भूषन सिवाजी गाज़ी खग्ग सों खपाए खल, खाने खाने खलन के खैरे भये खीस हैं। खड़गी खजाने खरगोस खिलवतखाने खीसे खोले खसखाने खाँसत खवीस हैं ॥ ३६१ ॥ ___ अन्यच्च-दोहा औरन के जाँचे कहा नहिं जाँच्यो सिवराज ? । औरन के जाँचे कहा जो जाँच्यो सिवराज ? ॥ ३६२ ॥ यमक अनुप्रास लक्षण-दोहा भिन्न अरथ फिरि फिरि जहाँ ओई अच्छर वृंद। .. आवत हैं, सो जमक करि बरनत बुद्धि बुलंद ॥,३६३ ॥ १ कोम; जाति । २ तुरमुत्ती एक शिकारी पक्षीः । ३ एक प्रकार का मृग। ४ मुरगों के रहने का घर । ५खलों का एक एक घर नष्ट हो गया। ६ गैंडा। ७ एकांत का कमरा।