पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२६९

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[१७८ ] बधाई पाटसादी' के । भूषन भनत ते भुवाल टुरे द्राविड़ के, ऐल फैल गैल गैल भूले उनमादी के ॥ उछलि उछलि ऊँचे सिंह गिरे लंकमाहिं, वूड़ि गये महल विभीपनके दादा के। महि हाले, मेरु हाले, अलका कुवेर हाले जादिन नगारे बाजे सिव साहिर जादाके ॥ ३८॥ प्रबल पठान फौज काहि कै कराल महा अपनी मनाय आन जाहिर जहान को। दौरि करनाटक में तोरिगढ़ कोट लीन्हें मोदी सो पकरि लोदी सेर खाँ अचान को। भूपन भनत सव मारि कै विहाल करि साहि के सुवन राचे अकथ कथानको । बारगीर बाज सिवराज के सिकार खेले, साह सैन सकुन मैं ग्राही किरवान को ॥ ३९ ॥ - पकवर प्रबलदल भकवर सों दौरि करि आप साहि जू को नंद वांधि तेग बाँकरी। सहर मिलायो मारि गरद मिलायो गढ़ उबरे न आगे पाछे भूप कितनां करी ॥ हीरा मनि मानिक की लाख पोटि" लादि गयो, मन्दिर ढहायो जो पै काढ़ी मूल कांकरी । , शादी के कपड़ों तक से वघाई भागती है। २ शाहनी के पुत्र शिवाजी। ३ अचानक, एकाएको।। ४ शिवानी के वानरूपी घोड़सवारों के शिकार खेलने से शकुन पक्षी रूपो शाही दल में तलवार पकड़ने वाला कौन हुआ ? ५ पोटली। ६ नीव का कंकड तक खोद डाला । सूरत शहर की लूट का वर्णन है।