पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/३४

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[ .२५ ] की * । उसी वंश में एक बड़ा पराक्रमी पुरुप माल मकरंद हुआ जिसके पुत्र राजा शाहजी भौंसला हुए । शाहजी बड़े दानी और वहादुर थे और उन्हीं के पुत्र महाराज शिवराज छत्रपति ( शिवाजी) हुए जो भवानी और श्रीशङ्करजी के बड़े भक्त थे और जिन्हें शैव कथाओं के सुनने से बड़ा प्रेम था। वे बड़े ही उदार दानी थे एवं उनके साहस की कोई सीमा ही न थी। उस समय दक्षिण में आदिलशाही, कुतुबशाही, निज़ा- मशाही, इमादशाही और वारीदशाही नामक पाँच । राजघराने .* वास्तव में सिसोदावासी होने से ये लोग सीसोदिया कहलाते थे। +ये पाँचों राजघराने दक्षिण की वहमनी राज्य के टूटने पर बने थे। बहमनी राज्य सन् १३४७ ईसवी में स्थापित हुआ था और १५२५ तक रहा। यह राज्य प्रायः वर्तमान हैदराबाद रियासत पर विस्तृत था। वीजापुर सन् १४८९ में स्थापित हुआ और ओरगजेब ने इसे १६८६ में छीन लिया। गोलकुंडा सन् १५१२ ६० में स्थापित हुआ और इसे भी औरंगजेब ने सन् १६८८ में जीत लिया। अहमदनगर का राज्य सन् १४६० में स्थापित हुआ और १६३६ ई० में इसे शाहजहाँ ने जीत लिया। एलिचपुर सन् १४८४ में स्थापित हुआ और १६५२ ई० में मुगल राज्य में मिला लिया गया। विदर राज्य १४९८ में स्थापित हुआ और १६५७ में इसे औरंगजेब ने जीत लिया । इन सब में वीजापुर और गोलकुंडा प्रधान थे। शिवानी के पिता शाहजो पहले.निजामशाही वादशाहों के यहाँ एक प्रधान कारवारी थे और शाहजहाँ से उन्होंने घोर युद्ध किया था और क्रमशः कई वादशाहों को तख्स पर बैठाकर अपने हो बाहु और बुद्धिवल से शाएजहा को हैरान कर रखा था। तभी तो भूपणजीने उन्हें 'साहि. निजामसखा' (शिव० भू० छंद नं०७ ) और "साहिन को सरन सिपाहिन को तकिया" (छंद नं० १० ) कहा है । इसके बाद ये बोजापुर में नौकर हो गए और तंजौर के .