पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/५५

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(जो अब ७५-७६ वर्ष के बुड़े थे ) पेशवा बाजीराव को एक पत्र में सब वृत्तांत लिख कर अंत में लिखा- "जो गति ग्राह गजेंद्र की सो गति जानहु आज । वाजी जात बुंदेल की राखौ वाजी लाज" || इस प्रकार बुंदेलों के बाजी हारने का भय सुन कर पेशवा बाजीराव ने एक महती सेना भेजी और उसकी सहायता से छत्र- साल ने सन् १७२९ में बंगश को परास्त किया। बंगश इस युद्ध में हारा, परंतु मारा नहीं गया । . छत्रसाल ने इस उपकार के बदले वाजीराव को अपना एक तिहाई राज्य दे दिया और शेप अपने दो मुख्य लड़कों में बाँट दिया। इनके प्रायः ५२ लड़कों में केवल हृदयशाह, जगतराज, पद्मसिंह और भारतीचन्द औरस पुत्र थे और शेष चेरियों से उत्पन्न हुए थे। हृदयशाह को पन्ना का राज्य मिला और जगतराज . को जैतपुर का । छत्रसाल सन् १७३३ में स्वर्गवासी हुए और अबतक मऊ (छत्रपुर) में उनका विशाल समाधिस्थान बना हुआ है। बुंदे- लखंड में अव २२ देशी रियासतें हैं जिनमें निम्नलिखित आठ रिया- सतों के राजा छत्रसाल वंशोद्भव है-जिगनी,पन्ना, लोगासी, सरीला, अजैगढ़, चरखारी, बिजावर और जसो। सन् १७३३ के लगभग महाराज हृदयशाह ने महाराज अवधूतसिंह को हरा कर रीवाँ राज्य पर अधिकार कर लिया। यह अधिकार सन् १७४० तक · रह कर समाप्त हो गया और महाराज अवधूतसिंह का राज्य रीवाँ में फिर से बढ़ हुआ।