पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/६६

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अनिश्चित संख्या के अर्थ में इनका प्रयोग बहुवचन में होता है। और और विशेषणों के समान ये विशेषण भी संज्ञा वा सर्वनाम के समान उपयोग में पाते हैं। (१) "एक" पूर्णांक-बोधक विशेषण है; परंतु इसका प्रयोग बहुधा अनिश्चय के लिए होता है। (अ) "एक" से कभी कभी “कोई" का अर्थ पाया जाता है; जैसे, "एक दिन ऐसा हुआ।" "हमने एक बात सुनी है।" (आ ) जब "एक" (विशेष्य के बिना) संज्ञा के समान आता है, तब उसका प्रयोग कभी कभी बहुवचन में होता है; और दूसरे वाक्य में उसकी द्विरुक्ति भी होती है; जैसे, "इक प्रविशहिं, इक निर्गमहिं ।” (इ) "एक" के साथ "सा” प्रत्यय लगाने से “समान" का अर्थ पाया जाता है; जैसे, "दोनों का रूप एकसा है।" (२) “दूसरा" "दो” का क्रमवाचक विशेषण है; पर यह प्रकृत प्राणी या पदार्थ से भिन्न के अर्थ में आता है; जैसे, “यह दूसरी बात है ।" "द्वार दूसरे दोनता उचित न तुलसी तोर।" (अ) कभी कभी “दूसरा" "एक" के साथ विचित्रता - (तुलना) के अर्थ में सर्वनाम की नाई आता है; जैसे, "एक जलता मांस मारे तृष्णा के मुँह में रख लेता है और दूसरा उसी को फिर झट से खा जाता है !"