पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/३४१

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३३८ मनुस्मृति भापानुवाद $ देव दानव, गन्धर्व, रानम, पक्षी, गर्प ये भी दण्डक ही दबे हुवे भाग को पा सकते हैं |शा दण्ड के बिना सम्पूर्ण वर्ष दुष्टाचरण में प्रवृत्त हो जायें और (चनुरूप) मय पुल टूट जावे और सम्पूर्ण लागों में उपद्रव हो जावं IRel यत्र श्यामा लोहिताचो दण्डश्चरति पापहा । प्रजास्तत्र न मुह्यन्ति नेता चेत्माधु पश्यति ॥२५॥ तस्याहुः सम्प्रणेतारं राजानं सत्यवादिनम् । समीक्ष्यकारिणं प्रान्न धर्मकामार्थका विदम् ।।२६|| जिस देश मे श्याम वर्ण और लाल ग्रि वाला, पाप का नाशक दण्ड विचरता है. वहां प्रजा प्रमाद नहीं करती यहि नेता (राजा) अच्छे प्रकार देखना हो ॥२५॥ मत्य बोलने वाले और अन्छे प्रकार समझ कर करने वाले, बुद्धिमान और धर्म अर्थ, काम के जानने वाले राजा को उस (दण्ड के) देने का अधिकारी कहते हैं ॥२६॥ तं राजा प्रणयन्सम्यक त्रिवर्गेणाभिवर्धते । कामात्मा विषमः क्षुद्रोदण्डेनैव निहन्यते ॥२७॥ दण्डाहि सुमहोजो दुर्घरचा कृतास्मभिः । धर्माद्विचलित हन्ति नृपमेव सयान्धरम् ॥२८॥ जो राजा उस (दण्ड) का अच्छे प्रकार चलाता है, वह धर्म, अर्थ. काम से वृद्वि को प्राप्त होता है जो विषय का अभिलाप और उलटा चलने वाला तथा क्षटता करनेवाला वह उसी दण्डसे नष्टहो जाताहै ॥२०॥ बड़े तेज वाला दण्ड है और शास्त्रोक्तसंस्कार