पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/११३

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पिता श्री* क्या हुवा ? एं ! अरे जरा मुझे भी तो बताओ ? इतना क्यों चिल्लाते हो, इतनी धूम धाम कैसी है ? यह अदालत में जय जयकार किस लिये ? वह छूट गया क्या ? तब गया किधर ? इधर ले आश्रो; क्या तुमने मेरे यहाँ आने की उसे खबर नहीं दी थी ? देखो वह, जमादार डंडों से उन सब को पीट रहा है, कहीं उसके एकाध चोट बैठ गई तो बस । सर्दी के दिन और वह ढाई पाव की हड्डी पर तुम हँसते क्यों नहीं हो ? के फूल मालाऐं उसे पइना दी या नहीं ? ऐ ! फिर जय जय कार ! लो, वह फिर आ रहा है, अरे ! इतनी मालाएं बिटुश्रा को पहना दी, ! बड़े नादान हो, आहा हा ! कैसा सजता है मेरा राजा

  • एक वृद्ध पिता का वैभव्य-आँखों देखा।