पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१३६

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( १९७ ) "सुनते जाओ, तुम देखते हो हो कि मैं तुम्हारी कसाले की रोटी खाता हूँ और एक पैसा भी मेरे पास नहीं रहता। यह धन देश का है हमारा नहीं । इसकी एक पाई भोअपने काम में लेना हमारे लिये हराम है, यही हाल मेरे इन मित्रों का है। ये सभी कालिज के उच्च डिगो प्राप्त बड़े २ 'वान्दानो रईसों के बेटे हैं । पर ये अपने गुलाम देश को आजादी के लिये करोड़ों भूखों और नंगों के पेट और अ.बरू की रक्षा के लिये तन मन धन दे चुके हैं। किसी ने व्याह नहीं किया है। दुख और इनके लिये कुछ नहीं है । जीवन का मोह ये त्याग चुके हैं। वेदना और प्रलोभन इनसे दूर है ये महात्मा, योगी, तपस्वी देश के बालक हैं। भाभी की हट और अाग्रह से मैं बहुत अच्छा खाता पहिनता है। पर मेरे ये प्यारे भाई बहुधा फाके करते, या कहीं मेहनत मजदूरी करके पैसा मिलने पर चना चबैना खाकर पानी पी लेते है " हरेसरन सक्ते की हालत में बैठा था। उसने सिर पर से पगड़ी उतार कर युवकों के पैरों पर रखदी, उसके नेत्रों से आँसुओं की झड़ी लग गई । उसने हिचकियाँ लेकर कहा- “मेरा मन कहता था तुम देव दूत हो; अब तुम देव दूतों के सरदार निकले, मैं तुम्हारे पैरों की धूल हूँ। मेरा भी तन मन तुम्हारे लिये है। बाल बच्चे दार हूँ तो क्या, मैं प्राणों को