पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१३८

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एक युवक ने कहा-"सरदार अब रोने से क्या होगा? अभी तीन बना है, अभी काम करना है। साहस करो।" "अब क्या करना होगा ?" हरसरन ने कहा । पहिली बात लाश को हटाना है, दाह क्रिया तो सम्भव ही नहीं।" "तब बहा दिया जाय ?" “यही होगा, पर जमुना जी तक लाश जायगी कैसे ?" "लाश को बक्स में बन्द करना होगा ।" "इस समय बक्स लेकर जाना निरायद नहीं ।" हरसरन बोला-'यह काम दिन में होगा और वह मैं कर लूँगा ? दिन में कोई भी देख न पायगा। आप लोग सुरक्षित स्थानों में चले जायें।" अब और सुरक्षित स्थान इस समय नहीं है । कल संध्या तक हमें यहीं रहना होगा। मेरे इन मित्रों को संध्या की मीटिंग में भाषण देना है।" "आज तो सभा बन्दी है, भाषण कैसे होगा?" "समा अवश्य होगी और गोलियाँ भी अवश्य चलेंगी।" "तुम्हें एक काम करना होगा, हरसरन भाई " "सुबह ही भाभी को कुछ दिन के लिये मायके भेजना होगा।"