पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१५०

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( १४१ ) आकर फिर कम्बल पर पड़ गया। दिन निकल आया। जेल वार्डर गश्त लगा कर चला गया। शब्द हुआ। "टिक टिक टिक्" "हरसरन ने दौड़ कर शब्द किया-टिक टिक टिक्" "१८ ?" "हाँ, क्या ३० 9) "क्या तुम्हें कोई नई सूचना मिली है ? "नहीं, तुमने कुछ सुना है ?" "बहुत कुछ मगर साहस न खोना ।" "कहो मैं सुनने को तय्यार हूँ।" "तुम्हारी स्त्री ने सब बता दिया है।" "क्या ??? "उत्तेजित न हो-क्या तुम इस भेद से अनभिज्ञ हो ?" "कौनसा भेद ?" “मैं उस भेद की बात नहीं कहता जिस मामले में हम यहाँ पाये हैं। "किस भेद की बात कहते हो ! बोलते क्यों नहीं ?" "तुम्हारी स्त्री और दोस्त के गुप्त प्रेम का भेद ।"