पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१५१

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12 ( १४२ ) "दुष्ट, कुत्ता "गाली बकने से क्या होगा ! बहुत सी बातें मालूम हुई हैं।' "कौन बातें !" "तुम्हारे बच्चे की बात ।" "उसकी क्या बात मालूम हुई ?' "उसे तुम्हारा दोस्त क्यों इतना प्यार करता है, जानते हो "क्यों नहीं, वह उसे अपने बच्चे के समान ही समझता "समझता नहीं है, वह उसी का बच्चा है।" "झूठे, बेईमान पाजी ? दूर हो मैं तुम से बात न करू गा।" "फिर बातें कैसे खुलेंगी, मैंने कहा था आपे से बाहर न होना। “तुम धूर्त झूठे और बेईमान हो।" "क्या सबूत देखोगे ?" तुम्हारा बुरा हो । दूर हो तुम" हरसरन दीवार के पास से हट आया। कई बार खट खट हुई पर व्यर्थ। हरसरन ने फिर उधर ध्यान नहीं दिया। उसके बदन में आग सी लग गई। हे ईश्वर ! क्या यह सच है ? वह सीधा सादा युवक तेज और त्याग का मूर्ति मान अव- तार, पवित्र जीवन और तपस्या का धरी क्या ऐसा कुकर्म करेगा