पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१५८

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( १४६ ) फिरता था। एक बार गत १० वर्ष का जीवन चित्रपट की भांति उमकी आँखों के सामने फिर गया कैसे उसका विवाह हुआ था; उसने कैसे अपने मित्र से अपनी पत्नी की भेंट कराई थी; वे दोनों कितना शीघ्र घुलमिल गये; घंटो बैठे. गप्पे लड़ाते थे। मैं काम पर जाता वे दोनों घर रहते। क्या यह सम्भव हो सकता है कि दोनों में बुरा सम्बन्ध हो ? फिर जब बच्चा हुआ तो कहा करती थी कि इसकी सूरत तुम्हारी जैसी नहीं तुम्हारे मित्र के जैसी है । क्यों ? बच्चे ?? क्यों ??? हाय यह मैंने कभी नहीं सोचा, सदा हँस कर टाल दिया। आज अब इसे समझ ही कर रहूँगा। उसकी सूरत उस के समान क्यों है ? और क्यों वह यह बात बार २ कहा करती थी और क्यों वह उसे सदा इतना प्यार करता था ?? ठहरो मैं अभी इसका मूल कारण समझ लूगा। इतना कह कर वह जोर २ से सिर में और छाती में धू से मारने लगा । इसके बाद उसने दीवार में टक्कर मारनी शुरू की और . फिर वह बेहोश होकर गिर पड़ा। होश में आने पर वह कुछ क्षण चुपचाप पड़ा रहा। फिर उठ कर उसी बेचैनी और घबराहट में टहलने लगा। अब वह बड़ बड़ा रहा था मैं उसे मार डालूँगा और उसे भी। मैं सभी को मार डालगा। विश्वास घाती, बंचक-चोर !!! इस बार उसने बड़े बेग से अपने शरीर को चीर कर कई घाव कर