पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१६४

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वारंट com 1 ई-महिने की बात है। देश में तीन वाक्य मूर्तिमान् से मलहरा रहे थे-'इन्कलाब जिंदाबाद,' भगतसिंह जिदाषद, 'नमक-कानूनतोदिया' इनमें से दो बातें तो सिर्फ जबानी जमा -खर्चथी, तीसरी अमल में आ रहीथी । गाँवगाँव कड़ाह चढ़े थे, पानी उबल रहा था, नमक बन रहा था । नमक नहीं बन रहा था, नमक क-कनून तोड़ा जा रहा था । यो जो नमक बनता था, वह जान और आबरू के मोल का था। दिल्ली और शहादरे के बीच के जमना का कछार है, उसमें भट्ठी बनी थी । शहादरे के खारी पानी का उस में श्राद्ध हो रहा था। अनेक पुरुष श्वेत खद्दर की राष्ट्रीय वर्दी. डाटे और महिलाएँ केशरिया बाना धारण किए कनून तोड़ने में जुटी थीं।

  • राजनैतिक ववंडर में बहुत से असली और फसली नेता

उत्पन्न हो गये थे। इस कहानी में ऐसे ही एक फसली नेता का रेखा चित्र है।