पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१७६

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भाभी ★ ऊषा के उदय होने के प्रथम ही तुम फिर सो गई ? एक बार जाग कर और उन्हें अपने काम पर जाने की अनुमति देकर । विदेश में, सागर की अनन्त लहरों के उस पार निश्चिन्त होकर सोने का तुमने खूब सुअवसर पाया ! जहाँ तुम्हारी उस सुखद नींद में विघ्न करने वाला-गुदगुदा कर जगाने वाला कोई भी अपना सगा नहीं है । ससागरा पृथ्वी तो घृद्धिगत प्रभात के आलोक में हास्य बखेर रही है और तुम कुलवधू होकर अब तक सोती हो ? भाभी, उठो, वे जा रहे हैं, तुम्हारे पति, जीवन सहचर, जिन्हें तुम अनुमति दे चुकी हो, वे चले जायंगे। तुम सोती ही रहोगी? यह निर्मम विदा तो बड़ी अनोखी रही, तुम्हारे मृदुल स्वभाव से सर्वथा विपरीत और अनहोनी। तुम्हारा यह अस्वाभाविक सोना हमारे हृदयों में आशंका भर रहा है, यह कैसा सोना • है, अशुभ औरश्र नपेक्षित । ★ कमला नेहरू के स्वर्गवास की सूचना पाकर लेखक की लेखनी ने ये आँसू बहाए थे 1