पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

श्राओ- नये दिवस के नव प्रभात की नई घड़ी जो आये। आशा सुख सम्मान शान्ति सामाज्य साथ में लाये। सुखी रहे तन शान्त रहे मन, तृप्ति आत्मा पावे। ब्रदल बसे घर में घट रित अमर आयु हम पावें। आओ, हे भारत के ज्येष्ठ पुत्र ! अब तनिक न देर लगाओ। पुण्य पर्व में वृद्धा माता को तुम मत तरसाओ। हमें चरण रज दो माता का चरणोदक ले जाओ। तिलकहीन माके मस्तक पर स्वयं तिलक बन जाओ। श्राओ! आओ !! प्रायो!!! Durga Sah Montoipal Library, Noiri 12. दुर्गा चिज खाजेरी