पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/३९

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अभाव


शान्त तारका हीन रात्रि का गहरा अन्धकार पृथ्वी पर छा रहा था, अमृतसर की प्रशस्त सड़कों पर मनुष्य का नाम न था, उसके दोनों पार्यों पर जलती हुई लालटेनों के खम्भे निस्तब्ध खड़े बहुत अशुभ मालूम हो रहे थे। जिन मकानों की खिड़कियों में नित्य दीपमालिका जगमगाती थी-उन में भी गहरा अन्धकार छा रहा था। एक विशाल अट्टालिका में एक युवक बैठे अन्धकार में दूर तक आकाश की ओर देख रहे थे। वे उस अभेद्य अन्धकार में मानों कुछ देख रहे थे। उन का मत उन्हें सुदूर फ्रान्स के युद्ध क्षेत्र में ले उड़ा था- + इस कहानी में जलियान वाला बाग के संस्मरण और उन पर पंजाब केसरी लाजपत राय के. रक्ताच प्रदर्शित हैं। MONS