पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/४०

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. ( ३१ ) चारों तरफ प्रचण्ड युद्ध की ज्वाला, तोपों का गर्जन,जहरीली गैसों के सरसराहट, आहतों की चीत्कार, बम प्रपात का हाहा- कार मानों वे उस शून्य आकाश में जाग्रत से देख रहे थे। उन्हें सहस्त्रों मरणोन्मुख व्यक्तियों में से सहसा एक अद्भुत मुख की अलोकित आभा दीख पड़ी। जो लाशों के ढेर में से साहयता के लिए संकेत कर रहा था । किस प्रकार प्राणी पर खेल कर वे उसकी साहयता को अग्रसर हुये थे, और किस प्रकार उस मुख के वीर स्वामी को उत्कृष्ट वीरता के उपलक्ष में विक्टोरिया क्रास मिला था । १॥ वर्ष पूर्व का यह चित्र उनकी आँखों में घूम गया। वे एक हाय कर उठे, हाय ! वही वीर ' पुरुष, वही सिंह नर, वहीं युवा-सुन्दर युवा जो कल रात मेरे साथ भोजन कर गये थे, अभी अभी कुछ घण्टे अथम हुम रहे थे। जलियान वाला बाग में मुर्दा पड़े हैं, वह उनका एक मात्र २॥ वर्ष का शिशु भी वहाँ लोहू लुहान पड़ा है, उनकी लाश उठाने का इस समय कोई प्रबन्ध नहीं। ओफ ! हत्यारे डायर ! युवक सिसकियाँ ले कर रोने लगे-रोते रोते ही धरती पर लेट गये। टनन्-टनन् टेलीफोन चिल्ला उठा। युवक ने चौंक कर देखा। उठ कर कहा-हलो, आपका नाम ?