पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/७१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

"यह ( ६२ ) क्षण भर के लिए मेरे शरीर में खून की गति रुक गई। पर वकीली दिमारा ने समय पर काम दिया। मैंने आश्चर्य प्रदर्शन करके कहा- "उनसे क्या पूछना है ?" "यह मैं आपको नहीं बता सकता।" सम्भव हो सकता है कि आप पर्दैनशीन महिला से इस तरह बातचीत कर सकें।" "बातचीत तो जनाब हो चुकी हैं, मैं जानता हूँ कि वे पर्दे की कायल नहीं।" मैंने और भी आश्चर्य का भाव चेहरे पर लाकर कहा- "श्राप कब उनसे बातचीत कर चुके हैं ?" "क्या आप भूल गए-उसी दिन रेल में।" "मैं नहीं समझता, आप किस दिन की बात कह रहे हैं ?" दारोगाजी जोर से हँस पड़े। उन्होंने डाढ़ी पर हाथ फेर कर कहा--"यह तो अभी मालूम हो जायगा ।" मैंने खूब गुस्से का भाव चेहरे पर लाकर कहा-- "किस तरह ?" "आप कृपा कर जरा उन्हें बुला दीजिए।" मैंने क्षण-भर सोचने का बहाना किया, फिर मैंने नौकर को बुलाकर कहा-"जाओ, जग बीबीजी को तो बुला