पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/५०

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पद्धति अबतक ऐसी नहीं निकली है जो दण्ड का निषेध करती हो, हां कोई शारीरिक दण्ड के पक्ष में है, कोई मानसिक दण्ड के पक्ष में।


एक विद्वान् किसी बादशाह के लड़के को पढ़ाता था। वह उसे बहुत मारता और डांटता था। राजपुत्र ने एक दिन अपने पिता से जा कर अध्यापक की शिकायत की। बादशाह को भी क्रोध आया। अध्यापक को बुलाकर पूछा "आप मेरे लड़के को इतना क्यों मारते हैं? इतनी निर्दयता आप अन्य लड़कों के साथ नहीं करते?" अध्यापक ने उत्तर दिया "महाराज, राजपुत्र में नम्रता और सदाचार की विशेष आवश्यकता है क्योंकि बादशाह लोग जो कुछ कहते या करते हैं वह प्रत्येक मनुष्य की जिह्वा पर रहता है जिसे बचपन में सत्‌चरित्रता की शिक्षा नहीं कठोर पूर्वता मिलती उसमें बड़े होने पर कोई अच्छा गुण नहीं आ सकता। हरी लकड़ी को जितना चाहो मोड़ लो लेकिन सूख जाने पर वह नहीं मुड़ सकती।"


मैंने अफ़्रीका देश में एक मौलवी को देखा। वह अत्यन्त कुरूप कठोर, और कटुभाषी था। लड़कों को पढ़ाता कम, और मारता ज़्यादा। लोगों ने उसे निकाल