पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/११३

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आखिर आज दुखनेवाला दाँत अखड़वाना पड़ा । वल्लभभाीकी आलोचना सच्ची थी । ४० वर्षकी अम्रमें ही दाँत गिरने २०-४-३२ लगे, यह क्या ? जिसमें शक नहीं कि दयाजनक स्थिति है । मुझे याद है मेरे पिता भी अिसी झुम्रमें दाँतके दर्दसे पीड़ित रहते और दाँत अखड़वाते थे । मेजर मेहता खुद ही अखाड़ गये । अिस आदमीके विवेक पर बापू मुग्ध हैं। दो खतोंमें बापने मेजरकी तारीफ की है।

< आज शामको सैरसे आकर पैर {छाते पुंछाते. बोले "हमने रोममें वेटिकनमें ीसा मसीहका जो पुतला देखा था, वह नजरसे हटता ही नहीं । असके शरीर पर कपड़ेका सिर्फ़ जैसा ही अक टुकड़ा था, जैसा हमारे अपढ़ देहाती कमरके आसपास लपेट कर रखते हैं। जिसके सिवा और कुछ नहीं था! और असकी करुणा तो बयान ही नहीं की जा सकती । वल्लभभाभीने लीडर से अक अद्धरण पढ़ सुनाया । यह अडवर्ड टॉम्सनका विलायतके 'स्पेक्टेटर को लिखा हुआ अक पत्र था। अिस पत्रमें डायरको नी ही सफ़ाी है । वह यह कि जब वे माअिल्स. अविगके साथ दिल्ली में खाना खा रहे थे, तब अर्विंगने यह बात कही थी कि डायर जलियाँवालाके बाद बोला था .' मुझे पता नहीं था कि बाहर निकलनेका दुसरा दरवाजा ही नहीं होगा। और लोग बैठे रहे अिसलिओ मैंने मान लिया कि ये लोग हमला करेंगे। अिस बातको छह महीने हो गये, मगर मेरे सामनेसे यह दृश्य हटता ही नहीं । मुझे अक दिन भी नींद नहीं आयी । हण्टर कमेटीके सामने दी हुी गवाही तो सिर्फ औरोके चढ़ा देनेके कारण बताओ हुी शेखी थी।" यह टॉम्सन आजकल 'मेन्चेस्टर गार्डियन'का यहाँका सम्वाददाता है कांग्रेस पर अिसने हलके हमले किये हैं और 'माडर्न रिव्यू'ने अिसको खुब आड़े हाथों लिया है। यह आदमी 'ढालका दूसरा पहलू' (Other side of the shield ) और 'हिन्दका कल्याण' (Welfare to India)का लेखक है । जिसीके यहाँ आक्सफोर्डमें वहाँके पण्डितोंको बापूसे मुलाकात हुी थी। वल्लभभाभी बोले- " यह आदमी बिलकुल झूठा मालूम होता है। 'मॉडर्न रिव्यूकी भी यही राय होगी ।" यापू बोले- "नहीं, मैं अिसे झूठा नहीं कहूँगा । अिसकी 'ढालका दूसरा पहलू' आपने पढ़ा नहीं। पढ़ें तो आप भी न कहें । अिस पुस्तकको प्रकाशित करनेमें असका स्वार्थ नहीं था । . ११०