पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कलके गिनाये हुओ तीन तारोंमेंसे आज अकके गिरनेकी बात झुठी, तो बापूने वल्लभभाभीसे कहा आज अब तुम सुखसे खाना । १३-३-१३२ रोज कहा करते थे : 'जेलमें नहीं जाते ।' अब बेचारे चले गये, अब तो तुम्हें चैन हुआ न?" 'टाअिम्स' के 'अिलस्ट्रेटेड वीकली 'में से तारामण्डलका नकशा निकाला और अससे आकाश- दर्शन करनेके लिअ अक पुढे पर चिपकानेको असे वल्लभभाीको दिया । हर रविवारको आश्रमकी डाक भेजनेके लिओ जो बासुन पेपर जमा किये हुआ हों, अनसे अंक मजबूत लिफाफा बनानेका काम भी वल्लम सीके सुपुर्द है । असके अनुसार अन्होंने सुन्दर लिफाफा बनाया । बापने कहा कि 'हिन्दू' अखबार ' लण्डन टाअिम्स'की नकल है और 'हिन्दू 'का साप्ताहिक संस्करण यहाँके 'अिलस्ट्रेटेड वीकली 'की नकल है । मैंने कहा " लेकिन 'अिलस्ट्रेटेड वीकली' जहाँ छिछले लोगोंके लिओ है, वहाँ यह बिलकुल वैसा नहीं है।" बापू बोले ... "बिलकुल' शब्द जोड़कर तुमने अच्छा किया । नहीं तो अिसमें भी छिछली चीजें बेशुमार आती हैं।" दोपहरको आश्रमकी डाक लिखते रहे । बीचमें वल्लभभाअीने कहा " हमें आपको ‘सत्य संहिता' बतानी चाहिये । 'गुजरात' में मुनशीने छापी है और हमें भेजी है ।" वह निकाली गयी । मैं पढ़ गया । बापूने कहा बहुतसे झूठे दावे किये जाते हैं । यह भी जैसा ही हो सकता है । यह तीन सौ वर्ष पुरानी नहीं हो सकती । अभी लिखी गयी होगी ।" फिर वल्लभभाीने कहा ." यह ताड़पत्र पर है । अक सौ पच्चीस पुस्तके हैं। जिन्हें लिखने बैठे तो भी मनुष्य जितना कितने दिनमें लिख सकता है ? " बापूने कहा जन्मकी, माँ बाप वगैरा की पूर्व अितिहासकी बातें तो आश्चर्यमें डालनेवाली हैं ।” में अिधर अधरसे श्लोक पढ़ने लगा। बाके वारेमें श्लोक आये, तो बापूने कहा "ये अक्षरशः सच हैं।" भार्येका भविता साध्वी रूपशील्गुणान्विता । पतिव्रता महाभागा छायेवानुगता सदा । जातकष्टे कष्टभाक् च जातसौख्ये सुखान्विता ब्राझे विवाह सिद्धिश्च त्रयोदशक वत्सरे । मगर अिससे भी ज्यादा सच अिनके खुदके बारेमें यह कैसा है ! मातृतुल्य परस्त्रीकः एकपत्नीवतं चरेत् । असा मालूम हुआ कि वल्लभभाीको तो जिसमें विश्वास है । बापूने " यह चीज़ सच्ची प्रमाणपात्र हो तो आश्चर्यजनक है।" एकपटो तंदा वर्षे विरोधश्च महान् भवेत् - "मेरे - १२