पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३९१

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। मान लेना कि वे पति हो गये अिसलिओ अन्होंने जो कह दिया वह अन्तिम हो गया। सच्ची पत्नी पतिका कान पकड़ कर असे गढ़डेमें पड़नेसे रोकेगी । मैं यह मानता हूँ कि यह सब तुम्हारे हाथमें है । मणिलालके साथ मेरा करार है कि वह तुम्हें दासी न मानकर साथिन, सहधर्मिणी और अर्धागिनी समझेगा । जिस तरह तुम दोनोंका अक दूसरे पर बराबरका हक है । तुम्हें भीतरी ज्ञान जिस हद तक ज्यादा है, अस हद तक अिस क्षेत्रमें तुम्हारा हक ज्यादा है । मणिलालको मशीन चलाना ज्यादा आता होगा, अिसलिओ असमें असका हक ज्यादा है । पानीके अिलाज वह ज्यादा जानता है, अिसलिमे असमें असका हक भले ही ज्यादा होगा।" अलग आज २० सितम्बरकी कार्रवाीके बारेमें कितने ही तैयार किये हुओ प्रश्न बापूको बताये और अनसे कुछ लिखा हुआ 'माँगा । बापू कहने लगे जबानी जबाब देता हूँ और फिर तुम्हें जितना हजम हो लिख डालना । अिनमेंसे कितने ही सवाल जैसे हैं, जिनका विस्तारसे जवाब दिया जाय तो भी अन्त नहीं आयेगा ।" अनका कहा हुआ कितना ही आज लिख लेता हूँ : होरके पत्रमें लिखे हुओ दो विषय - दमन और अलग मताधिकारके अलग तरहके हैं । अिसलिभे अिनमें तुलना हो ही नहीं सकती । बापूकी अपनी रायके मुताबिक तो दमनके मामले में सत्याग्रह करना पड़े तो विचार पैदा हो जाय, मगर अिस मामलेमें तो विचार ही नहीं करना पड़ा । यह बिलकुल स्वाभाविक है, जिसके बिना काम ही नहीं चल सकता । बाहर होता तो अपवास करनेकी नौबत कभी आती ही नहीं, सो बात तो नहीं है। मगर बाहर रह कर मैं अितने जोरका आन्दोलन मचाता कि अिस चीजको असंभव बना देता । यह अपवास सरकारके खिलाफ नहीं, मुसलमानोंके खिलाफ है, हिन्दुओंके खिलाफ है और अंग्रेज जनता और दूसरे बहुतोंको जाग्रत करनेके लिअ है । जिसके विरुद्ध अपवास करना पड़े, वह अिस कदमको समझ सकनेवाला हो यह जरूरी नहीं । मान लो मुझे आज खबर मिले कि मुसलमान आकर आश्रमसे किसी लड़कीको झुठा ले गये, तो यहाँ बैठे बैठे मैं जरूर अनशन शुरू कर दूं और सरकारसे कहूँ कि मेरे अिस कदमकी मुसलमानोंको खबर दे और कहे कि जिस कोमका मैंने कभी बुरा नहीं चाहा और जिसके लिअ प्राण देनेका मौका आ जाय तो देनेको तैयार हो जाएं, वह कौम असी वात बर्दाश्त कर सकती है तो मेरे लिमे दूसरा अपाय रह ही नहीं जाता । आज अछूत बड़ी आफतमें फँसे हैं । यह बात कोी समझता नहीं । मिससे स्थिति ज्यादा दुःखद बन जाती है । मुझे जिस दिन छोड़ा जाय अस दिन या तो हालत असी हो गयी होगी कि बिलकुल सुधर ही न सके, या ढेरों अछूत मुसलमान बन गये होंगे, या सनातनी ३७२ .