पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४८

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। . Idolatry consists in giving to any person or to any thing the place which belongs to our Lord." "जो स्थान या पद हमारे भगवान जीसाका है, वह स्थान किसी भी व्यक्ति या चीजको देनेका नाम मूर्तिपूजा है । बात यह है कि यह अीसामी Our Lord 'हमारे लाई को भगवान मानता है, जब कि दूसरे श्रीसाी नहीं मानते । अिसलिओ जैसे वे भीताको मीदवरीय अंश मानते हैं, वैसे ही वापको भी मानते हैं। यह आदमी मानता है कि जीसामी धर्मकी अहिंसा अस अहिंसासे, जो गांधी सिखाते हैं --यानी गो- रक्षाकी अहिंसासे -बष्टकर है ! आँसाने तो Resist not evil --'बुराीका प्रतिकार न करो' कहा था, जब कि यह आदमी Passive Resistance यानी निःशस्त्र प्रतिकार सिखाता है। जिसके Non-violent resistance - अहिंसक प्रतिकारके पीछे hatred यानी द्वेष छुपा हुआ है, जब कि 'Christian Non-violence अीसामी अहिंसामें Love यानी प्रेम भरा हुआ है । यह आदमी बापूसे मिला होता, तो जिस तरह न लिखता । यह मिला नहीं यही खामी है । अिसके सारे अध्ययनकी कमी बाके निजी परिचयका अभाव और बापके हिन्दू धर्म सम्बन्धी विचारोंका अशान है । और अिसीके कारण वह ये विचार प्रकट करता है : Christ gave to the world a sublime moral rcligion; Gandhi gives to the world a new way to get your enemy down -- and as his spiritual contribution recommends the especial veneration of the cow." " ओमाने दुनियाको अक भव्य नीति-धर्म दिया है। जब कि गांधी तो दुश्मनको मात करनेका अक नया तरीका सिखाते हैं। और अध्यात्मके सम्बन्धमें जिनकी देन अितनी है कि गायकी खास तौर पर पूजा करनेकी सलाह देते हैं। यह बेचारा समझता नहीं कि गांधीको मीसाकी तरह ही अिस दुनियाका राज नहीं चाहिये, और गांधीकी अहिंसा विश्वके अणु-परमाणु मात्रके प्रति अहिंसा है । गांधी शत्रुको गिरानेका नया रास्ता नहीं सिखाते, बल्कि शत्रुको मित्र बनानेका रास्ता सिखाते हैं । और गांधीके खयालसे बाहरी शत्रुओंसे आन्तरिक. शत्रुओंके साथकी लड़ाभी ज्या महत्त्वकी और ज्यादा विकट है। X X x ." मुझे याद. फूलचन्दका अक पत्र आया । असमें वे लिखते हैं कि किया अिसे सौभाग्य मानता हूँ । ध्रांगध्राका मामला मीश्वरने सुझाया वैसा.