पृष्ठ:महाभारत-मीमांसा.djvu/४२७

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ॐ भूगोलिक ज्ञान । ॐ ३६६ वर्तमान राजधानी पेशावर है। पेशावर जेंडरने जब पञ्जाब और सिन्ध प्रान्तोको अथवा पुरुषपुरका नाम महाभारतमें नहीं जीता, तब यहाँके अनेक लोगोंके नाम पाया । परन्तु गान्धारका नाम बराबर उनके इतिहासमें पाये हैं। परन्तु नामों- आता है। गान्धारके उत्तर शोर और का परिवर्तन ग्रीक भाषामें हो गया है, सिन्धुकेमागे काश्मीर देश भी प्रसिद्ध अतएव उन नामोंका महाभारतकी सूची- है। इसीके बीचसे सिन्धु नदी और सत- के नामोंसे मेल बैठाना बहुत सम्भव लज नदी बहती है। ये चारों-पाँचो देश नहीं है। पश्चिम ओरके नकशेमें अन्तके देश हैं: उत्तर ओरके लोग। और इनके नाम महाभारतके देशोंकी अर्जुनके दिग्विजयके वर्णनसे उत्तर सूचीम एक ही जगह दिये हुए है। ओरके लोगोंका कुछ वर्णन किया जा ____ इनके इस पार, कुरुक्षेत्रके पश्चिम सकता है। कुविन्द, आनर्त, तालकृट ओर, मरु अर्थात् मारवाड़ और पञ्जाब, इत्यादि देशोंका वर्णन हो चुकने पर आजकलके बड़े बड़े दो प्रान्त हैं। इनमें लिखा है कि, शाकलद्वीप आदि सप्तद्वीपों- महाभारत-कालमें सैकड़ों प्रकारके लोग के राजाओसे उसका युद्ध हुआ। यहीं होंगे; और उनके बहुतसे नाम भी महा- यह भी लिखा है कि, प्राग्ज्योतिष देशके भारतमें जगह जगह पाये जाते हैं। परन्तु राजा भगदत्तको उसने जीता । अन्तर्गिरि सबका ठीक टीक पता लगाना अत्यन्त और बहिर्गिरि इत्यादि लोगोंको भी उसने कठिन है। नकुलके पश्चिम दिग्विजयमें जीता। इसके बाद त्रिगर्त, दार्व, कोक- ऐसा वर्णन है:-"रोहितिक पर्वतको नद, काम्बोज, दरद इत्यादि लोगोंको पार करके उसने मत्तमयूरको जीत लियाः जीता। काम्बोज और दरद अफगानि- मरुभूमि, शैरीषक, महत्थ, दशार्ण, शिबि, स्तानमें और पश्चिम तिब्बतमें रहनेवाले विगत, अम्बष्ट, मालव, पञ्चकर्पट, वाट- लोग हैं। इसके आगे किंपुरुष, गुह्यक धान देश जीते और मद्र देशमें शाकल इत्यादि काल्पनिक लोगोंका उल्लेख है। नगरमें जाकर उसने अपने मामा शल्य- वहाँसे, लिखा है कि, अर्जुन हरिवर्षमें को वश कर लिया।” इससे जान पड़ता है गया । अस्तु: कुरुपाञ्चाल देश प्रायः उत्तर कि महाभारत-कालमें शाकल नगर प्रसिद्ध ओर हिमालयसे मिला हुआ है । इससे, था । इस नगरीका उल्लेख ग्रीक लोगोंने उसके आगे तिब्बत इत्यादि देशोंके विषय- भी किया है। इतिहासमें लिखा है कि, में, अर्जुनके दिग्विजयका जो वर्णन इस नगरमें आगे चलकर बड़े बड़े यवन आया है, उसे प्रायः काल्पनिक मानने में राजाओं और कनिष्कादिकोंने राज्य कोई हर्ज नहीं दिखलाई देता। (शान्तिक किया । पञ्जाबके शाल्व और केकय लोग अ० २०३ में) कहा है कि, हिमा. भी महाभारतमें बराबर उल्लिखित है; लयके दूसरे और आजतक किसीने और तक्षशिला नगरीका भी बराबर नहीं देखा। इससे यह तर्क होता है कि उल्लेख किया गया है। परन्तु इनका नाम महाभारत-कालमें भारती आर्य हिमालय- भीष्मपर्वके देशोंकी सूचीमें नहीं दिखाई के आगे तिब्बत देशमें न जाते होंगे। देता। बाल्हिकोका नाम महाभारतमें जाम्बुद्वीपकी जो कल्पना उन्होंने की है, बारम्बार आता है। इसी प्रकार क्षुद्रकों- उसमें हिमालयके श्रागेका वृत्तान्त उन्होंने का नाम भी बारम्बार आता है। अलेक्- सुनकर दिया होगा। अर्जुनके उत्तर