पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/१११

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शान्ति-सभा के शान्ति प्रेम का एक उदाहरण / 107 गाड़ीं; उनमें 3500 लाशें स्त्रियों की थीं"! "स्त्रियाँ लड़ाई में मारी गई थीं, या शहर के बाहर से फेंके गये गोलों से मरी थीं"? "नहीं; लड़ाई हो चुकने पर जिन स्त्रियों को 'सोलजर' लोगों ने बेइज्जत किया था ये लाशें उन्हीं की थी। बेइज्जत करने के बाद या तो 'सोलजर' लोगों ने ही इन्हे मार डाला था, या इन्होंने ही आत्महत्या कर ली थी। मेरी समझ में आधे से अधिक स्त्रियों ने मारे लज्जा के खुद ही प्राण दे दिये थे। उन्होंने मुंह दिखाने के बदले मर जाना ही अच्छा समझा"। "क्या ये स्त्रियाँ ग़रीब और नीच जाति की थी"? "इनमें से कितने ही भले घरो की थीं। 'सोलजर' लोगों ने अमीर-गरीब और उच्च-नीच का खयाल नही किया । सब पर एक मा अत्याचार किया"। "सुनिए, हेग की शान्ति-सभा ने जो युद्ध-नियम बनाये है उनमें से एक नियम है-कोई कुटुम्ब बेइज्जत न किया जायगा। किसी का हक़ न मारा जायगा । किसी का माल असाब न लूटा जायगा। किसी की प्राण-हत्या न की जायगी । किसी आदमी की निज की सम्पत्ति जब्त न की जायगी। इन अत्याचारों के लिए क्या किसी को सजा नहीं दी गई" ? इसके उत्तर में चीनी सज्जन ने कहा-"जब सभी लोगों ने इस तरह के अत्याचार और अन्याय किये तब सज़ा किसको दी जाती? जब हम लोगों ने अफ़सरों से शिकायत की तब उन्होंने सबूत मांगा। उन्होने फ़रमाया कि यदि हम इस बात के गवाह पेश करे कि किस ‘सोलजर' ने किस स्त्री को बेइज्जत किया तो उसे सजा दी जाय । परन्तु ऐसी स्त्रियाँ प्रायः सभी मर चुकी थी; सबूत कैसे दिया जाता ? और यदि जीती भी होती तो एक ही तरह के कपड़े पहने हुए हजारों 'सोलजरो' में से वे अपने अत्याचारी को कैसे पहचान सकती"? "अच्छा यह तो 'सोलजर' लोगों की बात हुई। सम्मिलित राज्यो के विषय में आपको क्या कहना है । उन्होंने कुछ अच्छा व्यवहार किया" ? "नही किया। वे भी प्रजापीड़न, अत्याचार और अन्याय से बाज नहीं आई। जिसने जो चीज़ पसन्द की, लूटी । इटली ने ऐतिहासिक सामान लूटा । जर्मनी ने ज्योतिष- विद्या-सम्वन्धी यंत्र लूटे । ये यंत्र अब जर्मनी की हवा खा रहे है" । "आपने ठीक कहा। जब मैं अंगरेज़ सम्पादकों के साथ जर्मनी गया था तब जर्मन-नरेश ने हम लोगों से भेंट की थी। हम उनका अभिवादन करने गये थे। उस समय हमने ब्रांज नामक धातु का एक गोला देखा था । वह चीन से ही वहां गया था। जर्मन- नरेश घोड़े पर थे। वह पृथ्वी का गोला उनके घोड़े के एक तरफ़ था और हम लोग दूसरी तरफ़ । क्या आप लोग अब उसे लौटा देने के लिए जर्मनी से प्रार्थना नही करेगे' ? "नहीं, हम और बनवा लेंगे। उन्हें उसे रखने दीजिए । वह उन्हें उनकी बेशरमी की याद दिलाता रहेगा"।