पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/१४०

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136/ महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली निकलता है । इसके पास तीन प्रेस हैं; जो स्टीम-इंजिन के द्वारा चलते हैं । इस पत्र के प्रत्येक अंक में आठ पृष्ठ रहते हैं । इनमें से चार छपे-छपाये एक सभा से सादे काग़ज के मूल्य पर खरीद लिये जाते हैं। इनमें देश-विदेश की खबरों के सिवा राजनैतिक गपशप भी रहती है । व्यापारी, किसान, अहीर और दरज़ियों के काम के लेख और समाचार भी इनमें रहते हैं । उपन्यास, आख्यायिका और यात्रा-वृत्तान्त भी प्रत्येक अंक में रहता है। इस पत्र की बिक्री खूब होती है । अमेरिका के गाँवों के मकान बड़े ही साफ और करीने से सजे हुए होते हैं । इस बात को स्पष्ट रूप से समझाने के लिए सन्त निहालसिंह ने केम्ब्रिज के उस मकान का वृत्तान्त लिखा है जिसमें वे कुछ दिन रहे थे। उनके कथन का सारा मर्म यह है । यह घर दो-मंजिला बना हुआ है । पहली मंजिल के बीच का कमरा सुन्दर चित्रों मे मजा हुआ है । उसके एक कोने में पियानो रक्खा है और दूसरे में लिखने का डेस्क । फ़र्श पालिश की हुई लड़की का है, जिस पर बेल-बूटेदार गालीचा बिछा हुआ है। नियत स्थान पर झूले और कुरसियाँ रक्खी हुई हैं। उससे मिला हुआ मुलाक़ात का कमरा है। उसमें दो तीन आराम-कुरसियाँ हैं, एक मेज और एक आलमारी भी है । मेज़ पर कुछ मासिक पुस्तकें और ग्रन्थ रक्खे हुए है और आलमारी सुन्दर जिल्द बंधी हुई किताबो से पूर्ण है । उसके आगे भोजनशाला, पाकशाला और धोबी-घर है । पाकशाला मे तीन चूल्हे हैं । इमसे तीन चीजें एक ही साथ पक सकती हैं । ये तीनो गैस के द्वारा जलते है । इस कमरे में कई मेजें और आलमारियाँ है, जिनमें खाने की चीजें, बरतन और अन्य सामान रक्वे जाते हैं । धोबी-घर में धोने की एक मशीन है । वह जल-शक्ति के द्वाग चलती है। उसमे बड़ी आसानी से कपड़े धोये जा सकते है और इतने साफ़ होते हैं, मानो किसी धोबी के धोये हुए है । इसलिए केम्ब्रिज-निवासी अपने कपड़े अपने ही घर में धो लेते है । इस धोबी-घर में मशीन के सिवा और भी कितने ही यन्त्र हैं, जिनसे कपड़े धोने से सम्बन्ध रखने वाले अन्य काम लिये जाते है। इस घर की एक आलमारी में कुछ गमायनिक पदार्थ रक्वे रहते हैं। ये कपड़ों के दाग़ आदि छुड़ाने के काम में आते हैं। दूसरे खण्ड में शयनकक्ष, स्नानागार और सिलाई-घर है। ये कमरे भी खूब सुसज्ज और नाना प्रकार की आवश्यक चीजो से पूर्ण हैं । [अगस्त, 1909 की 'सरस्वती' में प्रकाशित । सकलन' पुस्तक में संकलित । जित