पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/१४७

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युद्ध-सम्बन्धी अन्तर्जातीय नियम / 143 सैनिक समुदाय भयभीत हो रहा है। हेग के महा-न्यायालय में इस विषय पर शीघ्र ही विचार होने वाला है। जो सैनिक शान्ति सूचक अण्डियाँ लेकर या शत्रु के मैनिकों की वर्दी पहनकर शत्रुओं को धोखा देते है वे यथार्थ में रण-नीति के विरुद्ध कार्य करते है। नियम है कि जिस सैनिक के हाथ में शान्ति की झण्डी हो उस पर न तो वार किया जाय, न उसे और प्रकार का कष्ट पहुँचाया जाय, और न वह फ़ैद ही किया जाय । गत रूम-जापान युद्ध में रूमियों ने एक बार इम नियम का उल्लंघन किया था । नानणन में युद्ध हो रहा था। रूसियों ने शान्ति के मफेद झण्डे ऊपर उठाये । जापानियो ने ममझा कि वे शरण चाहते हैं । युद्ध बन्द कर दिया गया। जापानी उन्हें कैद करने के लिए आगे बढ़े । पास पहुँचते ही रूमियों ने उन पर बन्दक की बातें छोडी । सैकड़ों जापानी मुफ्त मे मारे गये । परन्तु अन्त में मैदान जापानियों ही के हाथ रहा । अरक्षित और चहारदीवारी से न घिरे हुए नगर पर गोला-बारी नहीं की जाती। यदि ऐसे नगर का किसी सैनिक अड्डे से विशेष सम्बन्ध हो, अथवा उसमें रसद रुकी गयी दो, तो फिर उम पर भी गोला-बारी की जा सकती है। जिस स्थान पर गोला-बारी की जाने को होती है वहाँ के निवासियों को सूचना द्वारा वहाँ से चले जाने की आज्ञा दे दी जाती है। परन्तु इस प्रकार की सूचना देना अथवा न देना आक्रमणकारी पक्ष की इच्छा ही पर छोड़ दिया गया है। अपने अधीन रहने वाली असभ्य जातियों से लड़ाई में सहायता लेना अनुचित नही, परन्तु इन जातियों की सेना का आधुनिक ढंग पर शिक्षित होना आवश्यक है। शत्रु पक्ष की टोह जासूस ले मकते है; परन्तु पकड़े जाने पर उन्हें फाँसी मिलती है। पहले तो गुब्बारे द्वारा उड़ने वाले लोगों तक को, युद्ध के समय पकड़ लिये जाने पर जासूसों ही की तरह दण्ड मिलता था; परन्तु अब वह बात जाती रही है । शत्रु-पक्ष के जहाजो पर, चाहे वे सामरिक हों चाहे व्यापारिक, उन्ही स्थानों पर आक्रमण किया जा सकता है जो शत्र अथवा आक्रमणकारी पक्ष के अधीन हो। किमी तटस्थ राजा के अधीन समुद्र में, अथवा बन्दर पर खड़े हुए, शत्रु-पक्ष के जहाज़ पर आक्रमण करने का अधिकार किसी को नही । जो जहाज वैज्ञानिक खोज के लिए निकले हों, जिनमे बदले हुए युद्ध के कैदी जा रहे हो, अथवा जिनमें रोगी और घायल तथा उनकी चिकित्सा का सामान हो-चाहे वे किसी पक्ष के हों-पकड़े नही जाते। शत्रु की प्रजा के उन जहाजों को छोड़कर जो युद्ध के आरम्भ होने के पूर्व ही से दूसरे पक्ष के समुद्र अथवा बन्दर में पड़े हों अन्य सब जहाज युद्ध-काल में पकड़े और ज़ब्त कर लिये जाते हैं। समुद्र-तट के निकट रहने पर तो नहीं, परन्तु समुद्र-तट से दूर गहरे समुद्र में पहुँच जाने पर मछलियों का शिकार खेलने वाली शत्रु पक्ष की नावें भी पकड़ ली जाती हैं । युद्ध आरम्भ होने पर यदि कोई जहाज शत्रु-पक्ष के बन्दर पर माल लाद रहा हो, अथवा शत्रु-पत्र के किसी बन्दर से चल कर अथवा किसी तटस्थ राष्ट्र के बन्दर की ओर जा रहा हो, तो वह एक नियमित समय तक नहीं पकड़ा जाता । बहुधा शत्रु-पक्ष के उन जहाजों को जिनमें दूसरे पक्ष के किसी बन्दर का कुछ माल हो, उक्त बन्दर में