पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२२४

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220/ महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली - उनको 'जापान का बिस्मार्क' कहा है । यह सर्वथा सत्य है । ईटो की बराबर राजनीति- कुशल पुरुष जापान में दूसरा नहीं । उन्होंने जापान को एक में नये साँचे ढाल दिया। हर विषय में उसकी तरक्की की । योरप और अमेरिका में जो कुछ ग्रहण करने के योग्य था उसे उन्होने ले लिया और जो कुछ ग्रहण करने योग्य न था उसे छोड़ दिया। वे सर्वोत्कृष्ट गुणग्राही और दोषत्यागी पुरुष हैं। आज तक जितने प्रख्यात पुरुष हो गये हैं, प्रायः सब एक ही एक प्रधान गुण था । परन्तु ईटो में अनेक गुणों का समुदाय है। नीति-पटुता में वे चाणक्य हैं; देशभक्ति में वे विलियम पिट हैं; दृढ़ता और साहस में वे वाशिंगटन हैं; सन्धि-विग्रह में वे बिस्मार्क है । ऐसे मारकुइस ईटो के अनवरत परिश्रम से उन्नत और उत्साहित हुआ जापान इस समय संसार के सबसे अधिक बलवान राज्य से भिड़कर उसे उसने पछाड़ दिया। इस तरह उसने अपने निःसीम साहस और रणकौशल से संसार को चकित कर दिया है। जो मृत्यु को तुच्छ समझता है; जो अपने देश के लिए धन की तो बात ही नहीं, प्राणो को भी हथेली पर रक्खे है, बड़े बड़े विजय प्राप्त करके भी जिसे जरा भी घमण्ड नहीं, ईश्वर उसका अवश्य ही कल्याण करता है। । [जुलाई, 1904 की 'सरस्वती' में प्रकाशित । 'चरित्र-चित्रण' पुस्तक में संकलित । ]