पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/२९०

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  • 286/ महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली

न समझा। 1889 ईसवी में आप राष्ट्रीय सभा के पांचवें जलसे के सभापति चुने गये । इस जलसे में राष्ट्रीय सभा के विषय में आपने कहा-"मैं आदि से ही उस आन्दोलन को देख रहा हूँ जिसका परिणाम यह राष्ट्रीय सभा है। मेरी तुच्छ बुद्धि में यह आन्दोलन अपनी उत्पत्ति, उद्देश और पद्धति में अत्यन्त शुभंकर है । मैं भली भांति जानता हूँ कि ब्रिटिश शासकों के उत्तम उद्योगों का यह उत्तम फल है। उच्च शिक्षा और स्वतन्त्रता- सम्बन्धी अधिकार जो भारतवासियों को खुशी से दिये गये उनका यह स्वाभाविक परिणाम है। इस आन्दोलन का उद्देश राष्ट्रीय जीवन को पुनरुज्जीवित करना और देश की आर्थिक दशा को सुधारना है। हमारी काम करने की रीति खुली हुई है, कानून के, मर्यादा के भीतर है और सब तरह गवर्नमेंट की न्यायशीलता पर अवलम्बित है।" 1889 ईसवी की राष्ट्रीय सभा में आपके साथ भारतवर्ष के शुभचिन्तक मिस्टर वेडला भी आये थे। 1904 ईसवी में फिर आप मर हेनरी काटन के साथ भारतवर्ष में पधारे थे। सर हेनरी उस साल की कांग्रेस के सभापति थे। नौकरी छोड़कर जब आप विलायत गये तब वहाँ भी आपने भारतवासियों की उन्नति के लिए काम करना शुरू कर दिया । वहाँ आपने राजनैतिक आन्दोलन का नया ढंग निकाला । आपने सोचा कि यद्यपि सेक्रेटरी आव् स्टेट तक सीधे पहुँचना कठिन है तथापि यदि पारलियामेंट के द्वारा उन तक पहुंचने का उद्योग किया जाय तो सफलता की बहुत कुछ आशा है । अतः भारतवर्ष के विषय मे जो कुछ अब कहा जाय वह विलायत के मर्वमाधारण जनों से कहा जाय । मर्व- माधारण ही के नेता पारलियामेंट (हाउस आव् कामन्स) में बैठते हैं। वे सब कुछ कर सकते हैं। उनकी सिफ़ारिशों को विचार सेक्रेटरी आव स्टेट को करना ही पड़ेगा। अत: विलायत में ब्रिटिश कमिटी नाम की एक सभा स्थापित हुई, जिसके सभापति सदा आप ही रहे । उन्ही के आग्रह से विलायत मे भी भारतवामियों ने राजनैतिक आन्दोलन करना शुरू कर दिया। 1893 ईसवी में आप हाउम आव् कामन्स के मेम्बर चुने गये और 1900 ईमवी तक मेम्बर रहे । मा विलियम ने भारतवर्ष के लिए एक लाख रुपये से अधिक अपनी जेब खाम से खर्च किया। जो कुछ उनके दक्षिणहस्त ने दिया उसको वाम हस्त में नहीं जाना। आपने तन, मन, धन से भारत की दशा सुधारने की चेष्टा की। जिम समय आप पारलियमिंद्र के मेम्बर थे उस समय आपने एक पारलियामेंट से सम्बन्ध रखने वाली कमिटी स्थापित की थी। उममें 120 मेम्बर थे। उसका उद्देश पारलियामेंट में भारत सम्बन्धिनी बातों पर ध्यान रखने का था। इस कमिटी के भी आप सभापनि चुने गये। इसों कमेटी की सहायता से 1895 ईसवी में श्रीमान् शौरोजी भारत सम्बन्धी व्यय का विचार करने के लिए एक रायल कमीशन नियत कराने में फली- थे। अखबारों और व्याख्यानों के द्वारा भी आपने भारत के लिए बहुत काम किया है। आपकी अध्यक्षता में ब्रिटिश कमिटी ने 'इंडिया' नामक साप्ताहिक पत्र निकाला। पारलियामेंट में भारत-विषयक जो बातें होती हैं उनकी रिपोर्ट उसमें रहती है। अन्यान्य