पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३६८

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364 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली डाक्टर ब्रूस 1) 11 कमाण्डर जरलंच 1901 703 डिग्री कमाण्डर स्काट 1901 82 डिग्री 17 मिनट, एडवर्डलैंड मार्खम तथा लांग स्टाफ पर्वत गास 1901 कुछ वैज्ञानिक तत्त्व 1901 डाक्टर चारकोट 1904 हमलेंड डाक्टर चारकोट 1908 70 डिग्री 30 मि. सर अर्नेस्ट शैकलटन 1908 88 डिग्री 23 मिनट, एक ज्वालामुखी पर्वत तथा मैगनेटिक पोल कप्तान एमंडसन 1910 ठेठ ध्रव तक माड पर्वत अब कप्तान स्काट की बारी आई। ऊपर की सूची से मालूम होगा कि स्काट माहव एक बार पहले भी दक्षिणी ध्रुव की यात्रा कर आये थे। उस समय वे कमाण्डर स्काट के नाम से प्रसिद्ध थे । उनकी दूसरी या अन्तिम यात्रा सन् 1910 ईसवी में प्रारम्भ हुई। यह यात्रा टेरानोआ नामक जहाज पर हुई थी। यह जहाज अँगरेजो ही का बनाया तथा अँगरेज़ो ही की मम्पत्ति थी। इसके यात्री भी अँगरेज़ ही थे। इसीलिए इस ध्रुवीय यात्रा का अंगरेज लोग (British National Expedition) अर्थात् अँगरेजो की जातीय चढ़ाई कहते हैं। इम यात्रा में कप्तान स्काट ठेठ ध्रुव तक पहुँचना चाहते थे । अतएव इसके लिए उन्होने जैसी चाहिए वैसी ही तैयारी भी की थी। उन्हें दक्षिण के ध्रुवीय प्रदेशो का अनुभव भी था। क्योकि वे खुद एक बार वहाँ हो आये थे । इसके सिवा शैकलटन माहब ने भी अपने अनुभवो के द्वारा कप्तान स्काट को इस यात्रा की तैयारी में सहायता पहुँचाई । अब इस यात्रा के लिए धन का प्रश्न सामने आया। परन्तु यह कमी भी कुछ तो मर्व-माधारण के चन्दे से पूरी हो गई और कुछ कप्तान स्काट ने अपनी सम्पत्ति गिरवी रखकर पूरी कर ली। इस प्रकार मजधज कर कप्तान स्काट यात्रा के लिए तैयार हो गये। इस यात्रा में उनके मुख्य मुख्य मार्थी ये थे-(1) लेफ्टिनेंट एवेस, एटोगनोवा जहाज़ के सहकारी नायक । (2) डाक्टर विल्मन, इम यात्रा में जाने वाले वैज्ञानिको के मुखिया, (3) मिस्टर मेकिटासवेल, न्यूजीलैंड के 'भूगर्भ-विभाग के डाइरेक्टर । कप्तान स्काट का टेरानोवा जहाज 29 नवम्बर, 1910 ईसवो, को न्यूजीलैंड से रवाना हुआ। 30 दिमम्बर को वह क्रोज़र अन्तरीप के निकट पहुँचा । परन्तु वहाँ उतरने का सुभीता न देखकर वह मेकम?सोड नामक स्थान की ओर गया। वहाँ जहाज से उतरकर सब लोगो ने एवेंस अन्तरीप में जाड़ा बिताया। जनवरी 1911 के अन्त में कुछ साथियों समेत कप्तान स्काट ने दक्षिण की यात्रा की तैयारी के लिए खाने-पीने का सामान इकट्ठा करना प्रारम्भ किया। इम स्थान पर कोई नौ महीने ठहरने के बाद ये लोग 2 नवम्बर 1941 ईसवी