पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३७७

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- उत्तरी ध्रुव की यात्रा-2/373 ध्रुव तक जाने की ठान दी। और, गये भी और लौट भी आये। पर पीरी के लिए यह काम इतना सहज न था। उन्हें उत्तरी ध्रुव तक भेजने के लिए अमेरिका वालों ने एक सभा बनाई है। उसने हजारों रुपये एकत्र कर के पीरी की मदद की है । 'रूजवेल्ट' नाम का जहाज़ भी उमी सभा का है। आज कोई 400 वर्ष से लोग उत्तरी ध्रव तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं । सब मिला कर 21 आदमी ध्रुव की तरफ आज तक गये है । कोई कुछ अधिक दूर तक गया, कोई कुछ कम। इन्हीं आदमियों में से पीरी भी एक हैं । आप इसके पहले दो दफ़े ध्रव की ओर जा चुके है। पिछली दफ़ आप 87 अक्षाश तक पहुँच गये थे। उसका वर्णन इस लेख के प्रथमांश में दिया जा चुका है। वहाँ से उत्तरी ध्रुव सिर्फ 3 अक्षांश दुर था। वहाँ तक उनके पहले और कोई नही पहुंचा था। इससे उन्होंने एक दफ़े और कोशिश कर देखना चाहा। उन्होंने कहा, सम्भव है, इस दफे बाकी के 3 अंश भी तै हो जायँ। कमांडर पीरी उत्तरी ध्रुव के आम पाम के टापुओ में बहुत समय तक घूमे हैं। उनका नजरिबा कोई 23 वर्ष का है । 6 जुलाई 1908 को पीरी न्यूयार्क से रवाना हुए। नोवा स्कोटिया मे ब्रेटन नाम का जो अन्तरीप है उसके पाम सिडनी नाम के बन्दरगाह में 17 जुलाई को उनका जहाज़ पहुँचा । वहाँ से न्यूफ़ौडलैंड के किनारे किनारे चक्कर लगाते हुए वे डेविस नाम के मुहाने में पहुंचे। वहाँ से मीधे उत्तर की ओर जाकर वे बेफिन की खाड़ी मे दाखिल हुए वहाँ मे चल कर ग्रीनलैंड टापू के पर्क अन्तरीय के पाम उन्होंने जहाज़ का लगर डाला। 1 अगस्त को वे वहाँ से आगे बढे। ममुद्र मे जमे हुए बर्फ के टुकड़े इधर-उधर बह रहे थे। बड़ी कठिनता से उन टुकड़ों को बचाते हुए उन्हें अपना जहाज आगे की ओर चलाना पड़ा। धीरे धीरे व ग्राटलैंड में पहुंचे। वहाँ शेरिडन नामक अन्तरीप मे उन्होंने अपना जहाज ठहराया। 1 सितम्बर को वे वहाँ पहुँचे । अन्तरीप के पास तो वे पहुँच गये, पर किनारे पर जहाज लगाने में उन्हें बड़ी आफ़ते झेलनी पड़ी। जाड़े शुरू हो गये थे। वर्फ की वर्षा हो रही थी। समुद्र जम चला था। इस दशा में जहाज को किनारे ले जाना असाध्य नही तो दुसाध्य जरूर था। हवा भी बड़े जोर से चलने लगी थी। अगर 1 मील समुद्र जहाज वलाने लायक था तो दो मील जम गया था । खैर, किसी तरह राम गम करके 5 सितम्बर को जहाज़ किनारे लग गया। वहाँ जाड़ो में रहने के लिए एक छोटा सा घर लकड़ी के तख्तों का बनाया गया । खाने पीने का सब सामान उमी में रक्खा गया। फिर यह ठहरी कि शेरिडन अन्तरीप से लेकर कोलम्बिया अन्तरीप तक जगह जगह पर खाने पीने की सामग्री रख आई जाय । इसके लिए बहुत सी बेपहिये की स्लेज नामक गाड़ियां तैयार की गई। उन में कृत्ते जोते गये। सामान लादा गया। और 15 सितम्बर से 5 नवम्बर तक वह सब सामान ढोकर थोड़ी थोड़ी दूर पर बनाये गये झोंपड़ो में रखा गया। यह इसलिए किया जिसमें लौटते वक्त खाने पीने का काफी सामान तैयार मिले। तब तक शिकार भी खूब खेला गया। कितने ही रीछ, खरगोश और वालरस नाम के दरियाई घोड़े मारे गये । वैज्ञानिक जाँच भी उस प्रदेश की की गई। फरवरी में 'रूजवेल्ट' जहाज वहीं पर छोड़ दिया गया। जितने लोग पीरी के - गया,