पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३८४

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380/ महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली की जरूरत भी नहीं। उनकी भाषा विचित्र है। वह किसी भी अन्य भाषा से नहीं मिलती। स्कीमो लोग अपने ही बनाये हुए घर पर अपना हक़ नहीं समझते । कोई भी जाकर उसमें रह सकता है। जमीन खोदकर उसके भीतर घर बनाये जाते हैं। घर के भीतर जमीन पर सूखी घास डाल दी जाती है। उस पर सील मछली का चमड़ा बिछा दिया जाता है । वही उनका बिछौना है । वे हिरन का चमड़ा पहनते हैं और चिराग़ में तेल की जगह चर्बी जलाते हैं । चिराग़ एक प्रकार के नरम पत्थर के बनते हैं। उस पत्थर की चमक चिराग़ की लौ से मिलकर इतनी गरमी पैदा कर देती है कि ऐसे चिराग़ से भोजन तक पकाया जा सकता है। जिस घर में एक भी चिराग़ जलता है उसमें रहने वालों को बहुत कम मरदी लगती है। गरमी के दिनों में स्कीमो लोग तम्बू तानकर मैदान मे रहते हैं । उस ऋतु में घरों की छतें उखाड़ दी जाती है । इमसे सूर्य का प्रकाश भीतर पड़ता है और नमी दूर हो जाती है। स्कीमो जाति की स्त्रियाँ पुरुषों की बहुत मदद करती है । वे एक को छोड़कर दूसरा पति कर सकती हैं । इस काम में उन्हें किसी तरह की तलाक़ की जरूरत नहीं होती । यदि एक स्त्री के दो प्रेमी हुए तो उन दोनों में कुश्ती होती है । जो जीत जाता है वही उस स्त्री का पति बनता है । पुरुष भी इस विषय में स्वतन्त्र हैं। वे भी एक को छोड़ कर दूसरी स्त्री कर सकते हैं । ऐसी अवस्था में स्त्री या तो अपने माता-पिता के घर चली जाती है या अपने किसी प्रेमी के यहाँ । लड़कियों का विवाह बारह-तेरह वर्ष की उम्र में हो जाता है। स्कीमो लोगो को अपनी ज़िन्दगी की स्थिरता का कुछ भी विश्वास नहीं। इसी से शायद वे बहुत उद्दण्ड होते हैं । वे नम्रता का बर्ताव जानते ही नहीं। भूतों से वे बहुत डरते हैं । चलते-फिरते, खाते-पीते, सभी कामों में और सभी जगह उन्हें भूतों का डर लगा रहता है । वे भूतों को प्रसन्न करने के लिए बलिदान देते हैं और उनको वश में रखने के लिए मन्त्र-यन्त्र, टोटके आदि भी करते हैं । जब एक घर छोड़कर दूसरे में जाते है तब पहले घर के किवाड़ इसलिए तोड़ देते है कि भूत घर को उजड़ा समझकर उसमें प्रवेश न करे । पुराना हो जाने पर जब वे किसी वस्त्र को छोड़ने हैं तब उसकी चिन्धी-चिन्धी करके कल करते हैं। उन्हें डर लगा रहता है कि पहनने लायक समझकर कही उसके भी भीतर भूत न घुम जाय । भूतों को शान्त रखने के लिये वे पितरों की भी पूजा करने हैं। वालरम के गले की ताँत से वे एक बाजा और उसी की हड्डी से खजड़ी बनाते हैं। वजड़ी पर वालग्स का ही चमड़ा मढ़ते हैं। फिर उनको बजाकर उन्मत्त की तरह खूब नाचते-कूदते हैं। स्कीमो-जाति के आदमी मुद्दे को घर से बहुत दूर ले जाकर गाड़ते हैं । उसके कपड़े-लत्ते भी उसी के साथ गाड़ देते हैं । यदि मृत मनुष्य का कोई कुत्ता हुआ तो मारकर वह भी उसी के साथ दफना दिया जाता है। जब कोई स्त्री मरती है तब उसकी आत्मा को सुखी करने के लिए उसका दीपक, सीने-पिरोने का सामान, थोड़ी-सी चर्बी और कभी