पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/३९०

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विस्यवियस के विषम स्फोट-2 जैसा कि इस लेख के पूर्वोक्त में कहा जा चुका है पृथ्वी के पेट में अपार गरमी भरी हुई है। उसका ऊपरी भाग तो ठण्डा है; पर भीतरी गरम । कुवें के भीतर उतरने पर बहुत गरमी मालूम होती है। यदि दूर तक पृथ्वी खोदी जाती है तो गरम पानी निकलने लगता है। गरम पानी के कितने ही चश्मे पहाड़ों से निकलते है । इसी से स्पष्ट है कि पृथ्वी के भीतर गरमी है अथवा यों कहिए कि आग जल रही है । यह धीरे धीरे ठण्डी होती जाती है; अर्थात् पृथ्वी के पेट की गरमी धीरे धीरे कम हो रही है । यह वैज्ञानिक नियम है कि जो चीज़ ठण्डी होती जाती है वह सिकुड़ती है। गरमी के पदार्थों का आकार कुछ बड़ा हो जाता है और सरदी से कम । पृथ्वी के भीतर सब कहीं बराबर गरमी नहीं; कहीं अधिक है कही कम । जो भाग बहुत अधिक गरम है वह जब ठण्डा होता है तब कम गरम भागों की अपेक्षा अधिक सिकुड़ जाता है। इसका फल यह होता है कि उसके और कम गरम भागो के बीच की जगह खाली रह जाती है। वहाँ पर महा भयंकर कन्दरायें सी बन जाती है। और उनके ऊपर पृथ्वी के कम गरम भाग मिहराबो ती तरह खड़े रह जाते है । ये मिहगबें जब अपने ऊपर का वजन नही संभाल मकती तब गिर जाती है और उनके ऊपर वाले भूभाग उन्हीं के साथ इस वेग से नीचे की कन्दराओं में जा पड़ते हैं कि उनके गिरने से बड़ी ही भीषण गरमी पैदा हो जाती है । इसे गरमी नही, प्रचण्ड ज्वाला कहना चाहिए। यदि ये घटनायें कहीं समुद्र के पाम हुई और समुद्र का जल दरारो से होकर वहाँ तक पहुँच गया तो उसकी भाफ हो जाती है । यह भाफ ऊपर निकलने की कोशिश करती है और यदि कहीं थोड़ा भी मार्ग निकलने को मिल गया तो हाहाकार करती हुई पृथ्वी के ऊपर आ जाती है । वही ज्वालामुखी पर्वत हो जाते है । जिस समय पृथ्वी के पेट की यह भीषण गरमी और भाफ ऊपर निकलने की कोशिश करती है, उम ममय उसका वेग भीतर ही भीतर दूर तक फैल जाता है और पृथ्वो कंपने लगती है। इसी को भूकम्प कहते हैं । पर ऊपर निकलने को जगह मिल जाने से कंपन बन्द हो जाता है और पत्थर, राख, भाफ और गली हुई चीजों के समूह बड़े ही हृदय-विदारी शब्द करते हुए ज्वालामुखी के मुंह से निकलने लगते हैं। ज्वालामुखी पर्वतों के होने के कई एक वैज्ञानिक कारण बतलाये जाते है, परन्तु आज कल पूर्वोक्त कारण अधिक मान्य समझा जाता है । इस लेख के पूर्वोक्त मे लिखा जा चुका है कि कुछ दिनो से इटली का विम्यात ज्वाला-गर्भ पर्वत, विस्यूवियस, फिर ज्वाला उगलने के लक्षण दिखला रहा है। गत अप्रैल में यह अनुमान सच निकला। कई दिनों तक विस्यूवियम ने बड़ी ही भयंकर अग्नि-वर्षा की। इसके कुछ ही दिनो बाद अमेरिका के कैलीफोनिया प्रदेश की राजधानी सान-फ्रांसिसको के विध्वंस होने की