पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४०६

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लंबे होंठ वाले जंगली आदमी कुछ समय हुआ, योरप में एक कंपनी थो। वह विलक्षण-विलक्षण जीव-जतुओं का रोज़गार करती थी और अजीब-अबीब जंगली आदमी ढूंढकर अपने यहाँ रखती और लोगों को दिखाकर रुपया कमाती थी। यह कंपनी अब टूट गई है । इसके यहाँ मेयर नाम के एक साहब नौकर थे। उन्होंने कहीं सुना कि अमेरिका की अमेजन नदी के किनारे लंबे होंठ वाले विचित्र आदमियों की एक जंगली जाति रहती है। इस जाति के आदमी अपने जंगल छोड़कर आज तक कभी सभ्य भूमि में नही आए। इसलिये दो-तीन लंबे होठ वाले आदमी वहाँ से लाने का विचार मेयर के मन मे आया। वह दक्षिणी अमेरिका के ब्रेजील देश में पहुँचा । वहाँ जाकर उसने जो कुछ किया और उस पर जो कुछ बीती, वह सब उसी के मुंह से सुनिए । उसने अपनी सविस्तर कथा अँगरेजी की 'वाइड-वर्ल्ड नामक मासिक पुस्तक में प्रकाशित की है। इन जंगली आदमियों का होठ कोई 6 इंच नीचे को लटकता रहता है। इसमे उनका रूप बहुत ही भयानक और वीभत्स मालूम होता है। उनके दो-एक नमूने प्राप्त करने का मैंने अपने मन में संकल्प किया। ब्रेज़ील के बाहिया नगर में पहुँचकर मैंने वहाँ के अफ़मरो मे लबे होंठ वालों के देश में जाने की आज्ञा माँगी। मेरी प्रार्थना नामंजूर हुई । मुझसे कहा गया कि एक भी लंबे होंठ वाला आदमी अपने गांव से बाहर नहीं भेजा जा सकता । भेजना तो दूर रहा, उनके गाँव के मौ मील आमपास तक भी किमी को जाने की आज्ञा नहीं मिल सकती । पर मैं नाउम्मेद न हुआ । मै एक हफ्ते तक बाहिया मे रहकर वहाँ जाने की तरकीबें मोचता रहा । अमेजन नदी के गस्ते से ही मै वहाँ जा सकता था। रास्ता महीनो का था। कोई आदमी मुझे वहाँ ले जाने को राजी न था । बड़ी मुश्किलों से कप्तान रोलेरिओ नाम का एक आदमी मुझे मिला। उसके नाम एक छोटा-मा जहाज़ था । अटोनिओ नाम का एक गोआनी भी मुझे मिला । वह दुभाषिए का भी काम कर सकता था और रास्ता भी उमका देग्खा हुआ था। हम लोगों ने छिपकर जाने का निश्चय किया। कप्तान से मैंने वादा किया कि वह रास्ते में व्यापार भी कर सकेगा । छ: महीने के खाने-पीने का मामान और गोली, बारूद, उदूक आदि चीजे हम लोगों ने लीं। व्यापार की चीजें भी अंटोनिओ ने जहाज पर लादी। जगली लोगों को देने लायक़ चीजें भी बहुत-मी हम लोगो ने साथ ली। तीन-चार खलासी लेकर एक गत को हम सबने चुपचाप जहाज्ञ का लंगर उठाया । अमेज़न को फाड़ते हुए धीरे-धीरे हम , आगे बढ़े। अमेजन बहुत चौड़ी नदी है । उसके मुंह की तरफ़, पश्चिम की ओर, हमाग जहाज चला। कई दिन चलने के बाद, किनारे पर, ब्रेजील गवर्नमेंट का एक किला मिला। उसे पार कर जाना मुश्किल था । अगर कोई देख लेता, तो हम लोग आगे न जा सकते।