पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/४६२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

458 / महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली होकर, अपनी सत्ता का दुरुपयोग किया है जो पारलियामेंट इस देश की सारी प्रजा की स्वाधीनता की रक्षा करती और राज्य के सुप्रबन्ध में राजा तथा कर्मचारियो की सहायता करती है उसकी सम्मति का राजा ने सदा अनादर ही किया है और इस प्रकार स्वतन्त्र होकर अपने अन्याय से प्रजा को बहुत दु:ख दिया है। इस भयानक युद्ध का जिसमें कि हजारों लोग क़त्ल किये गये है, वही मुख्य कारण और जवाबदेह भी है । अस्तु। इस प्रकार जब प्रधान न्यायाधीश ने राजा पर इलज़ाम लगाया और उनको अपनी सफ़ाई का जवाब देने को कहा तब राजा ने कुछ भी उत्तर न दिया । वह अपने मन में यह समझता था कि मैं राजा हूँ-इन लोगों को मेरी जांच करने का कोई अधिकार नही । परन्तु न्यायाधीशो ने राजा की उक्त समझ की कुछ भी परवा न की। वरावर दस दिन तक मुक़द्दमे की जाँच होती रही। इस अभूतपूर्व मुकद्दमे की काररवाई देखने और सुनने के लिए हर दिन लाखो आदमियो की भीड़ अदालत में हुआ करती थी। ठीक ठीक जाँच करने के बाद प्रधान न्यायाधीश और उसके सब सहायकों ने एकमत से यह निश्चय किया कि गजा चार्ल्स अन्याय से प्रजा को पीड़ित करने का सचमुच दोपी है। इसलिए उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाय ! न्यायाधीशों की आज्ञा के अनुसार ता० 30 जनवरी मन् 1649 ईसवी को, इंगलैड का राजा प्रथम चाम, अपने महल के पास ही, मिर काट कर मार डाला गया। राजा को अन्यान्यपूर्ण तथा अनियन्त्रित सत्ता चलाने का फल मिल गया। इसके बाद यद्यपि और भी अनेक विघ्न उत्पन्न हुए तथापि पारलियामेट की मत्ता दिन दिन बढ़ती ही गई-राज्य के प्रबन्ध में उसका अधिकार दिन दिन बढ़ता ही गया। इसमे मन्देह नहीं कि पारलियामेंट के कई सभ्यों को बहुत क्लेश भोगना पड़ा, परन्तु अन्त में प्रजापक्ष ही की जीत हुई। जैसे मूर्य कुछ समय तक मेघमाला से आच्छा- दित हो जाता है, पर अन्त में मारे मेघमण्डल फोड़कर वह अपना प्रचण्ड तेज प्रकट करता है, वैसे ही प्रजापन की प्रभा कुछ समय तक राजसत्तारूप मेघमाल से ढक गई थी; परन्तु अन्न मे सब विघ्नो का नाश करके वह फिर भी प्रकाशित होने लगी। धीरे धीरे प्रजा के प्रतिनिधियों की शक्ति इतनी बढ़ गई कि सत्रहवीं सदी के अन्तिम भाग में जो दूसरी राज्यक्रान्ति हुई उस समय लोहू का एक वृंद भी नहीं बहाना पड़ा । इंगलैंड का राजा द्वितीय जेम्स सन् 1688 ईसवी में अपना राजपद छोड़कर फांम को भाग गया । तब पारलियामेंट ने विलियम नामक एक विदेशी सरदार को, जो कि चार्ल्स की मेरी नामक लड़की का पुत्र था, अपना राजा बना लिया। इस राज्यक्रान्ति की घटना से पारलियामेंट की स्वाधीनता पूर्ण रूप से स्थापित हो गई । राज्यप्रबन्ध के सब सूत्र, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष "For all which trcasons and crimes, this Court doth adjudge that he, the said Cherles Stuart, as a tyrant, traitor, murderer and public enemy, shall be put to death by severing his head from his body"-Readings from English History, Part II. p. 130-131.