पृष्ठ:महावीरप्रसाद द्विवेदी रचनावली खंड 4.djvu/८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जर्मनी में संस्कृत भाषा का अध्ययन-अध्यापन /19 के, मानी जाती है । गत वर्ष इनकी जगह पर बर्टल माहब नियत हुए हैं । हाले के अध्यापक हल्श भी संस्कृत के नामी पंडित हैं। भारत में ये बहुत समय तक रह चुके हैं। दक्षिणी भारत के उत्कीर्ण लेखों (South Indian Inscriptions) का संपादन करके इन्होंने उन्हें एक ग्रंथ के रूप में प्रकाशित किया है। भारत की कई भाषाओं से ये परिचित हैं। आजकल ये अशोक के अभिलेखों का संपादन-कार्य बड़ी योग्यता से कर रहे है। हाले ही में आर० शिमिड साहब भी अध्यापक थे। वे अब मन्स्टर-विश्वविद्यालय को बदल गये हैं। उन्होंने 'कामसूत्र' नामक ग्रंथ का अनुवाद, जर्मन भाषा में, किया है। कील के विश्वविद्यालय के संस्कृताध्यापक श्रेडर साहब, अभी कुछ ममय पहले तक, भारत ही में थे। उनका प्यारा विषय है भारतीय दर्शनशास्त्र। डॉक्टर स्ट्राम भी कील के अध्यापक है। वे भी दर्शनशास्त्रों के ही अध्ययन में विशेप मनोयोग देते हैं। इन लोगो से पहले, कील में, एफ० डूमन संस्कृत पढ़ाते थे। इनका सर्वाधिक प्रेम वेदांत और उपनिष्टों पर था। इन्होंने इनका म्यूब अध्ययन किया था। इन विषयों को ये बड़ी योग्यता से पढ़ाते थे। ग्रीफ्सवाल्ड में लडविक हेलर संस्कृताध्यापक हैं। ये कोलहान के चेले हैं। व्याकरण के अच्छे ज्ञाता है। विदेशियों को संस्कृत पढ़ाने के बड़े मरल ढंग उन्होने निकाले हैं। इनसे संस्कृत पढ़ने में विदेशी छात्र बहुत कम घबराने है। उर्जबर्ग विश्वविद्यालय में अध्यापक जॉली काम करते हैं। भारतीय राजनीति, धर्मनीति और आयुर्वेद में इनकी गति बहुत दूर तक है । म्यूनिक में पहले अध्यापक कून संस्कृत पढाते थे; अब एल० गेगर पढाते है। इन दोनों ही ने पाली भाषा के विषय में, ज्ञातव्य वातों से पूर्ण कितने ही लेख प्रकाशित किये हैं। सिंहाली और ईगनी भाषाओं का जितना ज्ञान गेगर को है उतना जर्मनी के और बहुत कम विद्वानो को होगा। यह इनमें बहुत बड़ी विशेषता है। तूविजन के अध्यापक गार्वे सांख्य और योग के विशेषज्ञ हैं । हीडलवर्ग में मबसे पहले लेफमान साहब संस्कृत पढ़ाते थे। अब अध्यापक बार्थोलोमी पढ़ाते हैं। ये पिछले महाशय ईरानी भाषाओ के उत्कृष्ट ज्ञाता हैं। इन्होने इबस्ता की भाषा का एक कोश बनाया है। इस कोश से प्राचीन संस्कृत भाषा, अर्थात् वैदिक संस्कृत, से संबंध रखनेवाली भी बहुत सी बातें जानी जा सकती है। इस विश्व- विद्यालय में दो अध्यापक और भी हैं-वालेज़र और ज़िमर । बौद्ध-साहित्य के परिशीलन में ये खूब दत्तचित्त है। हैम्बर्ग का विश्वविद्यालय नया है। पर वहाँ भी संस्कृत भाषा पढाई जाती है। यह काम अध्यापक शूबिंग के सिपुर्द है । जैन धर्म पर उन्होंने बहुत लेख लिखे हैं । फ्रैंकफर्ट का विश्वविद्यालय भी अभी कल । वहाँ के अध्यापक प्रिज़ प्राकृत भाषाओं के अध्ययन के प्रेमी हैं। कोनिग्ज़बर्ग के अध्यापक फ्रांके पाली भाषा के ज्ञाता हैं । इस विषय में वे अपना सानी, जर्मनी में, नहीं रखते । उन्होंने इस भाषा पर और इसमें लिखे गये ग्रंथों पर बहुत