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पृष्ठ:मानसरोवर भाग 3.djvu/२७९

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२७८ मानसरोवर . पर आ जातो कि जब अक्ल और जिस्म में १ और १० को निस्थत है, तो जितना ही मोटा आदमी दोगा, उतना ही उसकी अक्ल का वजन भी ज्यादा होगा। राजा साहर-इससे यह साबित हुआ कि जितना हो मोटा भादमी, उतनी हो मोटी उसकी अक्ल । मोटेराम-जब मोटो अक्ल बदौलत राज-दरबार में पूष्ट होती है, तो मुझे पतली अक्ल लेकर क्या करना है। हास-परिहास के बाद राजा साहब ने वर्तमान समस्या पण्डितजी के सामने उप-- स्थित को, और उसके निवारण का जो उपाय सोचा था, वह भी प्रकट किया। पोले- बस, यह समझ लीजिए कि इस साल भापका भविष्य पूर्णतया अपने हाथों में है शायद किसी आदमी को अपने भाग्य निर्णय हा ऐसा महत्त्व पूर्ण अवसर न मिला होगा। हड़ताल न हुई, तो और तो कुछ नहीं कह सकते, आपको जोवन-भर किसी के दरवाजे जाने की जरूरत न होगी। बस, ऐसा कोई व्रत ठानिए कि शहरवाले थर्रा उठे । कांग्रेसवालों ने धर्म को आइ लेकर इतनो शक्ति बढ़ाई है। बस, ऐसी कोई युक्ति निकालिए कि जनता के धार्मिक भावों को चोट पहुंचे। मोटेराम ने गम्भीर भाव से उत्तर दिया-यह तो कोई ऐसा- कठिन काम नहीं है। मैं तो ऐसे-ऐसे अनुष्ठान कर सकता हूँ कि आकाश से जल को वर्षा करा दूं; मरी के प्रकोप को भी शान्त कर दें; अन्न का भाव घटा-बढ़ा दूं। कांग्रेसवालों को परास्त कर देना तो कोई बड़ी बात नहीं। अगरेजी पढ़े लिखे महानुभाव समझते हैं कि जो काम हम कर सकते हैं, वह कोई नहीं कर सकता। पर गुप्त विद्याओं का। उन्हें ज्ञान ही नहीं। खां साहब-तब तो जनाब यह कहना चाहिए कि आप दूसरे खुदा हैं। हमें क्या मालूम था कि आपमें यह कुदरत है ; नहीं तो इतने दिनों तक क्यों परेशान होते ? मोटेराम, साहब, मैं गुप्त-धन का पता लगा सकता हूँ, पितरों को बुला सकता हूँ, केवल गुण-प्राहक चाहिए। संसार में गुणियों का प्रभाव नहीं है, गुणों का हो। भभाव है-गुन ना हिरानो, गुन-गाहक हिरानो है। राजा [-भला इस अनुशान के लिए आपको क्या भेंट करना होगा ? मोटेराम-जो कुछ भापको श्रद्धा हो। .