पृष्ठ:मानसरोवर भाग 4.djvu/१२४

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आगा-पीछा १२५ चौधरी- क्या लड़की का बाप मर गया है ? उसका क्या नाम था कहाँ का रहनेवाला है। कुल-मरजाद कैसा है जब तक यह सारी बाते मालूम न हो जायँ, तब तक व्याह कैसे हो सकता है। क्यों बच्चा की अम्मा चौधराइन-हां, बिना इन बातों का पता लगाये कैसे हो सकता है । भगतराम ने कोई जवाब नहीं दिया। चौधरीयहाँ किस महल्ले में रहती हैं मा-बेटी! सारा शहर हमारा छाना पड़ा है, हम यहाँ कोई बीस साल रहे होंगे, क्यों बच्चा की अम्मा ? चौधराइन-बीस साल से ज्यादा ही रहे हैं । भगतराम-उनका घर नखास पर है। चौधरी -नखास से किस तरफ। भगतराम-नख़ास की सामनेवाली गली में पहला मकान उन्हीं का है। सड़क से दिखाई देता है। चौधरी-पहला मकान तो कोकिला रडी का है। गुलाबी रंग से पुता हुश्रा है न 1 भगतराम ने झंपते हुए कहा-जी हां, वही मकान है ! चौधरी-तो उसमें कोकिला रंडी नही रहती क्या ! भगतराम-रहती क्यों नहीं, मा-बेटी, दोनों ही तो रहती हैं। चौधरी-तो क्या कोकिला रडी की लड़की से ब्याह करना चाहते हो ? नाक कटवाने पर लगे हो क्या ? बिरादरी में तो कोई पानी पियेगा नहीं। चौधराइन-लूका लगा दूँगी मुंह में रांड़ के ! रूप-रंग देख के लुभा गये क्या ? भगतराम-मैं तो इसे अपने बड़े भाग्य समझता हूँ कि वह अपनी लड़की की शादी मेरे साथ करने को राजी है। अगर यह आज चाहे तो किसी बड़े-से-बड़े रईस के घर में शादी कर सकती है। चौधरी-रईस उससे व्याह न करेगा-रख लेगा। तुम्हें भगवान समाई दे, तो एक नहीं चार रखो। मरदों के लिए कौन रोक है। लेकिन जो व्याह के लिए कहो तो व्याह वही है, जो विरादरी में हो। चोधराइन-बहुत पढ़ने से आदमी बौरा जाता है ।