पृष्ठ:मानसरोवर भाग 4.djvu/२०८

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सभ्यता का रहस्य २०९ से काम लिया । बोले-यह मेरी बदनामी की बात है। तेरा क्या बिगड़ा, साल-छः महीने की सज़ा हो जायगी, शरमिदा तो मुझे होना पड़ रहा है। लोग यही तो कहते होंगे कि राय साहब के आदमी ऐसे बदमाश और चोर है। तू मेरा नौकर न होता, तो मे हलकी सज़ा देता ; लेकिन तू मेरा नौकर है, इसलिए कड़ी से कड़ी सजा दूंगा। मैं यह नहीं सुन सकता कि राय साहब ने अपने नौकर के साथ रियायत की। यह कहकर राय साहब ने दमड़ी को छः महीने की सख्त कैद का हुक्म' सुना दिया। उसी दिन उन्होंने खून के मुकदमे मे जमानत ले ली। मैंने दोनो वृत्तात' सुने, और मेरे दिल में यह ख्याल और भी पक्का हो गया कि सभ्यता केवल' हुनर के साथ ऐब करने का नाम है। आप बुरे से बुरा काम करे, लेकिन अगर आप उसपर परदा डाल सकते हैं, तो आप सभ्य है, सजन हैं, जेटिल- मैन हैं । अगर आप में यह सिफत नहीं, तो आप असभ्य हैं, गॅवार हैं, बद-- माश है । यही सभ्यता का रहस्य है । . .