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मानसरोवर

दोनों फिर खेत के दौड़ पर आये। देखा, सारा, खेत-रौंदा पड़ा हुआ है और जबरा मँड़ैया के नीचे चित लेटा है, 'मानों प्राण हो न हों।

दोनों खेत की दशा देख रहे थे। मुन्नी के मुख पर उदासी छाई थी; पर हल्कू प्रसन्न था।

मुन्नी ने चिंतित होकर कहा --- अब मजूरी करके मालगुजारी भरनी पड़ेगी।

हल्कू ने प्रसन्न-मुख से कहा --- रात की ठण्ड में यहां सोना तो न पड़ेगा।