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मानसरोवर


आती भी तो मन न लगाती ; मगर अब तो मन तुमसे लग गया। घर भी जाऊँ, तो मन यहाँ ही रहेगा। और, तुम जो हो, मेरी बात नहीं पूछते।

मुलिया की ये रसीली बाते रग्घू पर कोई असर न डाल सकीं। वह उसी रुखाई से बोला-- मुलिया, मुझसे यह न होगी। अलग होने का ध्यान करते ही मेरा मन न जाने कैसा हो जाता है श। यह चोट मुझसे न सही जायगी। मुलिया ने परिहास करके कहा---तो चूड़ियाँ पहनकर अन्दर बैठौ न। लाओ मैं मूंछें लगा हूँ। मैं तो समझती थी कि तुममें भी कुछ कल-भल है। अब देखती हैं, तो निरे मिट्टी के लोंदे हो।

पन्ना दालान में खड़ी दोनों की बातचीत सुन रही थी। अब उससे न रह गया। सामने आकर रग्घू से बोली ---जब वह अलग होने पर तुली हुई है, फिर तुम क्यों उसे जबरदस्ती मिलाये रखना चाहते हो ? तुम उसे लेकर रहो, हमारे भगवान् मालिक हैं। जव महतो मर गये थे, और कहीं पत्तों की भी छह न थी, जब उस वक्त भगवान् ने निबाह दिया, तो अब क्या डर। अब तो भगवान् की दया से तीनों लड़के सेयाने हो गये हैं। अब कोई चिन्ता नहीं।

रग्घू ने आँसू---भरी आँखों से पन्ना को देखकर कहा---काकी, तू भी पागल हो गई है क्या ? जानती नहीं, दो रोटियाँ होते ही दो मन' हो जाते हैं।

पन्ना---जब वह मानती ही नहीं, तब तुम क्या करोगे ? भगवान् की यही मरज़ो होगी, तो कोई क्या करेगा। परालब्ध में जितने दिन एक साथ रहना लिखी था, उतने दिन रहे, अब उसको यही मरज़ी है, तो यही सही। तुमने मेरे बाल-बच्चों के लिए जो कुछ किया, वह मैं भूल नहीं सकती। तुमने इनके सिर हाथ न रखा होता, तो आज इनकी न जाने क्या गति होती, न जाने किसके द्वार पर ठोकरें खाते होते, न जाने कहाँ-कहाँ भीख माँगते फिरते। तुम्हारा जस मरते दम तक गाऊँ गी ; अगर मैरी खाल तुम्हारे जूते बनाने के काम आये, तो खुशौ से दे दें। चाहे तुमसे अलग हो जाऊँ ; पर जिस घड़ी पुकारेंगे, कुत्ते की तरह दौड़ी आऊँगी। यह भूलकर भी न सोचना कि तुमसे अलग होकर मैं तुम्हारा चुरा चेहूँगी। जिस दिन तुम्हारा अनभल मेरे मन में आयेगा, उसी दिन विष खाकर मर जाऊँगी। भगवान् करे, तुम दृध नहीव, पूतों फलों। मरते दम तक यही असीस मेरे रोएँ-रोएँ से निकलती रहेगी। और, अगर लड़के भी अपने बाप के हैं, तो मरते दम तक तुम्हारा पोस मानेंगे ।