पृष्ठ:मानसरोवर १.pdf/१७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१८४
मानसरोवर

बूटी ने उसकी ओर रस-भरी आंखों से देखकर पूछा --- अच्छा बता, मोहन से तेरा ब्याह कर दूं ?

रूपा लजा गई। मुख पर गुलाब की आभा दौड़ गई ?

आज मोहन दूध पंचकर लौटा तो बूटी ने कहा -कुछ रूपए-पैसे जुटा, मैं रुपा से देरो बातचीत कर रही हूँ।