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दिल की रानी

यज़दानो ने उसी स्वर में कहा --- जहाँपनाह, इसको बदलबानी का ख्याल न फरमाचे xxx।

तैमूर ने तुरन्त तख्त से उठकर यज़दानी को गले लगा लिया और बोला --- काश ऐसी गुस्ताखियों और मदानियों के सुनने का पहले इत्तफाक होता, तो आज इतने बेगुनाह का खून मेरी गर्दन पर न होता। मुझे इस जवान में किसी फरिश्ते की रूह का जलवा नजर आता है, जो मुझ जैसे गुमराहों को सच्चा रास्ता दिखाने के लिए सेलो गई है। मेरे दोस्त, तुम खुशनशीष हो कि ऐसे रिश्ता- सित बेटे के बाप हो। क्या उसका नाम पूछ सकता हूँ।

यज़दानो पहले भातशपरस्त था, पीछे मुसलमान हो गया था, पर अभी तक कभी कभी उसके मन में शकाएँ उटती रहती थी कि उसने क्यों इस्लाम कबूल किया। जो कैदी फांसी के तख्ते पर खड़ा सूखा जा रहा था कि एक क्षण में रस्सो उसको गर्दन में पड़ेगी और वह लटकता रह जायगा, उसे जैसे किसी रिश्ते ने गोद में ले लिया। वह गद्गद कण्ठ से बोला-उसे हबीब कहते हैं।

तैमूर ने युवक के सामने जाकर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे लाखों से लगाता हुआ बोला --- मेरे जवान दोस्त, तुम सचमुच खुदा के हबोत्र हो। मैं वह शुनहगार है, जिसने अपनी हालत में इमशा अपने गुनाहों को सवाब समझा, इसलिए कि मुझसे कहा जाता था तेरी लात बेऐष है। आज मुझे मालूम हुआ कि मेरे हाथों इस्लाम को कितना नुक्रमान पहुंचा। आज से मैं तुम्हारा ही दामन पकड़ता हूँ। तुम्हीं मेरे खिज, तुम्ही मेरे रहनुमा हो। मुझे यकीन हो गया कि तुम्हारे ही वसोळे से मैं खुदा के दर्गाह तक पहुंच सकता हूँ।

यह कहते हुए उसने युवक के चेहरे पर नजर डालो, तो उस पर शर्म की लाली छाई हुई थी उस कठ रता की जगह मधुर संकोच मलक रहा था।

युवक ने सिर झुकाकर कहा --- यह हुजूर को कदरदानी है, वरना मेरी क्या

तैमूर ने उसे खींचकर अपनी बगल में तख्त पर बैठा दिया और अपने सेनापति को हुक्म दिया, सारे तुर्क कैदी छोड़ दिये जायें, उनके हथियार वापस कर दिये जायँ और जो माल लूटा गया है, वह सिपाहियों में बराबर बाट दिया जाय।

वज़ीर तो उधर इस हुक्म की तामील करने लगा, उघर तैमर हबीब का हाथ