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दिल की रानी


कहना चाहता; लेकिन यदि मुझे सलाह देने का अधिकार है, तो मैं स्पष्ट कहता हूँ कि तुम्हें इस प्रस्ताव को कभी स्वीकार न करना चाहिए । तैप से यह गत बहुत दिन तक छिपी नहीं रह सकतो कि तुम क्या हो। उस बक क्या परिस्थिति होगी, में नहीं कहता। और यहां इस विषय में जो कुछ टोकाएं होंगो, वह तुम मुझसे ज्यादा जानती हो। यहाँ में मौजूद था और कुत्सा को मुंह न खोलने देता था , पर वहा तुम अकेली रहोगी और कुत्ता को मनमाने आरोप करने का अवघर मिलता रहेगा।

उसकी पत्नी स्वेच्छा को इतना महत्व न देना चाहती थी। बोली --- मैंने सुना है, तैमूर निगाहों का अच्छा आदमी नहीं है। मैं किसी तरह तो न ज ने दूंगी कोई बात हो जाय तो सारी दुनिया हंसे। योही हँसनेवाले क्या कम हैं ?

इसी तरह स्त्री पुरुष बड़ी देर तक ऊँच-नीच सुझाते और तरह-तरह को शकाएँ करते रहे , लेकिन हमोष मौन पाधे बैठी हुई थी। यजदानी ने समका, हबीब भी उनसे सहमत है । इन्कार की सूचना देने के लिए उठा ही था कि हमोव ने पूछा --- आप तैमूर से क्या कहेंगे।

'यही, जो यहां तय हुआ है।'

'मैंने तो सभी कुछ नहीं कहा ।'

'मैंने तो समझा, तुम भी हमसे सहमत हो।'

'जी नहीं। आप उनसे जाकर कह दें, मैं स्वीकार करती हूँ।'

माता ने छाती पर हाथ रखकर कहा --- यह क्या गजन करतो है बेटो, सोच तो दुनिया क्या कहेगो?

यज़दानी भी सिर थामकर बैठ गये, मानौ हृदय में गोली लग गई हो। मुंह से एक शब्द भो न निकला।

होम त्योरियों पर बल डालकर बोली --- अम्मीजान, मैं आपके हुक्म से औ भर भी मुंह नहीं फेरना चाहती। आपको पूरा अख्तियार है, मुझे जाने दे या न दें, लेकिन खल्क की खिदमत का ऐसा मौका शायद मुझे जिन्दगी मैं फिर न मिले। इस मौके को हाथ से खो देने का अफसोस मुझे उम्र भर रहेगा। मुझ यकीन है कि. अमीर तैमूर को मैं अपनी दियानत, चेयरलो और सच्चो वफादारी से इन्सान बनमः सकतो हूँ और शायद उसके हार्थों खुदा के बन्दों का खून इतनो कसरत से न बहे।