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मानसरोवर


वह दिलेर है। मगर बेरहम नहीं। कोई दिलेर आदमो बेरहम नहीं हो सकता ! उसने अब तक जो कुछ किया है, मजहब के अन्धे जोश में किया है। भाज खुदा ने मुझे बह मौका दिया है कि मैं उसे दिखा दूं कि मजहब खिदमत का नाम है, लूट और कत्ल का नहीं। अपने बारे में मुझे मुतलक अन्देशा नहीं है। मैं अपनी हिफाज़त आप कर सकती हूँ। मुझे दावा है कि अपने फर्ज को नेकनीयती से अदा करके मैं दुश्मनों की जवान भी बन्द कर सकती हूँ ; और मान लीजिए मुझे नाकामो भी हो, तो क्या सचाई और इन के लिए कुर्मान हो जाना ज़िन्दगी को सबसे शान- दार प्रतह नहीं है ? अब तक मैंने जिस उसूल पर जिन्दगी बसर की है, उसने मुझे धोखा नहीं दिया और उसी के फैन से आन मुझे वह दर्जा हासिल हुआ है, जो बड़े- बड़े के लिए ज़िन्दगी का ख्वाब है। ऐसे आजमाये हुए दोस्त मुझे कभी धोखा नहीं दे, सकते। तैमूर पर मेरी हकीकत खुल भी जाय, तो क्या खौफ़ ? मेरी तलवार मेरी हिफाजत कर सकती है। शादी पर मेरे खयाल आपको मालूम हैं। अगर मुझे कोई ऐसा आदमी मिलेगा, जिसे मेरी रूह कबूल करती हो, जिसको जात में अपनी हस्ती को खोकर मैं अपनी रूह को ऊँचा उठा सकूँ, तो मैं उसके कदमों पर गिरकर अपने को उसकी नजर कर दूँगी।

यज़जानी ने खुश होकर बेटी को गले लगा लिया। उसको स्त्री इतनी जल्द आश्वस्त न हो सकी। वह किसी तरह बेटी को अकेली न छोड़ेगी। उसके साथ वह -भी जायगी।

( ५ )

कई महीने गुज़र गये। युवक हबीब तैमुर का वज़ीर है। लेकिन वास्तव में वही बादशाह है। तैमूर उसी की आँखों से देखता है, उसी के कानों से सुनता है और उसी की अक्ल से सोचता है। वह चाहता है, इबोब आठौ पहर उनके पास रहे। उसके सामोप्य में उसे स्वर्ग का-सा सुख मिलता है। समरकन्द में एक प्राणी भी ऐसा नहीं, जो उससे जलता हो। उसके बर्ताव ने सभी को मुग्ध कर लिया है। क्योंकि वह इन्सान से जी भर भी कदम नहीं हटाता। जो लोग उसके हार्थों चलती हुई न्याय की चक्की में पिस जाते हैं, वे भी उससे सद्भाव ही रखते है ; क्योंकि वह ल्याय को जरूरत से ज़्यादा कटु नहीं होने देता।

सन्ध्या हो गई थी। राज्य कर्मचारी जा चुके थे। शमादान में मोम को बत्तियाँ