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मानसरोवर

जुगनू ने हुँह फैलाकर हाथ से इशारा किया, वही लौंडा है। महिलाओं का सम्पूर्ण समूह विक के सामने आने के लिए विकल हो गया।

मिस खुरशेद ने मोटर से उतरकर हुड बन्द कर दिया और आश्रम के द्वार की भोर चली । महिलाएं भाग-भागकर अपनी-अपनी जगह आ बैठो।

मिस खुरशेद ने कमरे में कदम रखा । किसी ने स्वागत न किया। मिस खुरशेद जुगनू की ओर निस्संकोच आँखों से देखकर मुसकिराते हुए कहा-कहिए बाईजी, रात आपको चोट तो नहीं आई?

जुगनू ने बहुतेरी दीदा-दिलेर स्त्रियाँ देखी थों; पर इस ढिठाई ने उसे चकित कर दिया। चोर हाथ में चोरी का माल लिये, साह को ललकार रहा था।

जुगनू ने ऐंठकर कहा --- जी न भरा हो, तो अब पिटवा दो। सामने ही तो है।

खुरशेद-वह इस वक तुमसे अपना अपराध क्षमा कराने आये हैं। रात वह नशे में थे।

जुगनू ने मिसेज टंडन की ओर देखकर कहा --- और, आप भी तो कुछ कम नशे में नहीं थी।

खुरशेद ने व्यंग्य समझकर कहा --- मैंने आज तक कभी नहीं पी, मुझ पर झूठा इलज़ाम मत लगाओ।

जुगनू ने लाठी मारी-शराब से भी बड़ी नशे की चोज है कोई, वह उसी का नशा होगा। उन महाशय को परदे में क्यों ढंक दिया ? देवियों भी तो उनकी सूरत देखतीं।

मिस खुदशेद ने शरारत को-सूरत तो उनको काख-दो लाख में एक है।

मिसेज टंडन ने आशकित होकर कहा --- नहीं, उन्हें यहाँ लाने की जरूरत नहीं। आश्रम को हम बदनाम नहीं करना चाहते।

मिस. खुरशेद ने आग्रह किया-मुआमले को साफ़ करने के लिए उनका आप लोगों के सामने आना जरूरी है। एकतरफा फैसला आप क्यों करती हैं ?

मिसेज़ टंडन ने टालने के लिए कहा --- यहाँ कोई मुकदमा-थोड़े ही पेश है।

मिस खुरशेद --- बाह ! मेरी इज्जत में बट्टा लगा पा रहा है, और आप कहतो है, कोई मुकदमा नहीं है। मिस्टर किंग आयेंगे और आपको उनका बयान सुनना होगा।