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तावान

'तुम मोटे हो हो।'

'मुझ पर प्ररा भी दया न कीजिएगा ?'

प्रधान ज्यादा गहराई से बोले --- छकौड़ीलालजी, मुझे पहले तो इसका विश्वास नहीं आता कि आपकी हालत इतनी खराब है, और अगर विश्वास आ भी जाय, तो मैं कुछ कर नहीं सकता। इतने महान् आन्दोलन में कितने हो घर तबाह हुए ओर होंगे । हम लोग समो तबाह हो रहे हैं। आप समझते है, हमारे सिर कितनी पड़ी जिम्मेदारी है। आपका तावान मुआफ कर दिया जाया तो कल है आपके बीसियों भाई अपनी मुहरें तोड़ डालेंगे और हम किसी तरह कायल न कर सकेंगे। आप गरीब है। लेकिन आपके सभी भाई तो गरोन नहीं हैं। तब तो सभी अपनी बीवी के प्रमाण देने लगेंगे। मैं किस-किस की तलाशी लेता फिरूंगा। इसलिए जाइए, किसी तरह रुपये का प्रबन्ध कीजिए और दूकान खोलकर कार-पार कीजिए। ईश्वर चाहेगा, तो वह दिन भी आयेगा जब आपका नुक्सान पूरा होगा। ।

( ५ )

छकौड़ी घर पहुंचा, तो अंधेरा हो गया था। अभी तक उसके द्वार पर स्यापा हो। रहा था। घर में जाकर स्त्री से बोला-आखिर वही हुआ, जो मैं कहता था। प्रधान- जो को मेरी बातों पर विश्वास ही नहीं आया ।

स्त्री का मुरझाया हुआ वदन उत्तेजित हो उठा। सठ खड़ी हुई और बोली --- अच्छी बात है, हम उन्हें विश्वास दिला देंगे। मैं अब कांग्रेस दफ्तर के सामने ही- मऊँगी। मेरे बच्चे उसी दफ्तर के सामने भूख से विकल हो होकर तड़पेंगे। काप्रेस, हमारे साथ सत्याग्रह करती है, तो हम भी उसके साथ सत्याग्रह करके दिखा दें। मैं इस मरी हुई दशा में भी काग्रेस को तोड़ डालूंगी। जो अभी इतने निर्दयी हैं, वह इछ अधिकार पा जाने पर क्या न्याय करेंगे ? एक इक्का बुला लो, खाट को प्रात नहीं । वहीं सड़क किनारे मेरी जान निकलेगी। जनता ही के बल पर तो वह कूद रहे है। मैं दिखा देगो, जानता तुम्हारे साथ नहीं, मेरे साथ है।

इस अग्नि-कुण्ड के सामने छकौड़ी को गर्मी शान्त हो गई। कांग्रेस के साथ इस रूप में सत्याग्रह करने को कल्पना ही से वह कांप उठा। सारे शहर में हलचल पड़ लायगी, हतारों आदमी भाकर यह दशा देखेंगे । संभव है, कोई हंगामा हो हो जाय। यह सभी बात इतनी भयकर थी कि छकौड़ी का मन कातर हो गया। उसने स्त्री को